हरदा ने गुजरात और दिल्ली माडल के बहाने विपक्षियों पर बोला हमला, कहा, एक का अंबानी-अडानी पर फोकस दूसरे ने रोजगार के नाम पर किया धोखा

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत परिवर्तन के बाद से पूरे फॉर्म में हैं। जमीन पर सक्रिय होने के साथ ही वह इंटरनेट मीडिया पर भी प्रतिद्वंद्वियों पर आक्रामक मुद्रा में हैं। गुजरात और द‍िल्‍ली माॅॅडल के बहाने उन्‍होंने सरकार पर हमला बोला है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 04:29 PM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 04:29 PM (IST)
हरदा ने गुजरात और दिल्ली माडल के बहाने विपक्षियों पर बोला हमला, कहा, एक का अंबानी-अडानी पर फोकस दूसरे ने रोजगार के नाम पर किया धोखा
हरदा ने गुजरात और दिल्ली मॉडल के बहाने विपक्षियों पर बोला हमला

हल्द्वानी जागरण संवादााता : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने परिवर्तन के बाद से पूरे फॉर्म में हैं। जमीन पर सक्रिय होने के साथ ही वह इंटरनेट मीडिया पर भी प्रतिद्वंद्वियों पर आक्रामक मुद्रा में हैं। हरदा ने रविवार को अपने फेसबुक पोस्ट पर गुजारात और दिल्ली मॉडल के बहाने जहां भाजपा और आप पर हमला बोला वहीं अपने के कार्यकाल के दौरान उत्तराखंड मॉडल की खूबियां बताईं।

गुजरात मॉडल

हरदा ने लिखा कि गुजरात मॉडल, डबल इंजन की सरकार के विफलताओं और निकम्मेपन को उत्तराखंड 2017 से भुगत रहा है। केवल बयानबाजी, महंगाई, बेलगाम अर्थव्यवस्था व रोजगार रसातल में जा रहा है, महिलाओं की पेंशन बंद, अंबानी-अडानी मॉडल पर काम हो रहा है, जमीन पूंजीपतियों को बेच दो, कोविड काल में जनता को अपने भाग्य पर छोड़ दो, कोई व्यवस्था नहीं, ऑक्सीजन न बेड, मुख्यमंत्री बदलो और हो सके तो चुनाव के समय में विधायकों के टिकट काटकर जनता के सवालों से बचो, यह है गुजरात मॉडल।

दिल्ली मॉडल

दिल्ली मॉडल पर कटाक्ष करते हुए हरदा ने लिखा कि कृषि, न बागवानी। राजस्व, पुलिस सहित कई विभाग नदारद। पिछले सात वर्षों से दिल्ली में कोई नया डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक, आईटीआई सरकार ने नहीं खोला। साढे़ सात साल के दिल्ली मॉडल पर केवल साढे़ 6 हजार लोगों को नौकरियां मिली हैं, जिनमें से कुछ अंशकालीन शिक्षक हैं। कुल 600 स्कूलों वाले राज्य की शिक्षा व्यवस्था, कैसे उत्तराखंड जैसे राज्य पर फिट आ सकती है। दिल्ली में अधिकांश स्कूल, चिकित्सालय निजी क्षेत्रों में हैं या केंद्र सरकार द्वारा पोषित हैं तो स्वास्थ्य सेवाओं का मॉडल भी दिल्ली का उत्तराखंड में फिट नहीं आ सकता है।

हमारा मॉडल

हरदा ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए लिख कि 2014 से 2017 तक एक उत्तराखंडियत आधारित मॉडल बनना शुरू हुआ। हमने एक लाख की संख्या से तीन साल में वृद्धा, विधवा, दिव्यांजनों के पेंशनरों की संख्या बढ़कर सवा सात लाख पहुंचाई। 400 बढ़ाकर मासिक पेंशन हजार रुपए की। 1400 सड़कों पर काम पूर्ण या प्रारंभ, 25 नये डिग्री कॉलेज, 23 नए पॉलिटेक्निक, आठ इंजीनियरिंग, आठ नर्सिंग, पांच मेडिकल, पैरामेडिकल, 40 नये आईटीआई, 32 बहुग्राम, पेयजल योजनाएं, फ्लाईओवर, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्टेडियमों का निर्माण, 24 घंटे स्वस्थ व सबसे सस्ती बिजली, भाषा-बोली व शिल्प सर्वधन, पर्वतारोहण के नये संस्थान, 32 हजार लड़के-लड़कियों को सरकारी नौकरियां, शिक्षा में आरक्षण का बैकलॉग समाप्त, 500 से अधिक मॉडल स्कूल आदि-आदि हैं। उत्तराखंड को मॉडल की बानगी, जरा मनन करें?

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