हल्द्वानी में रोज पचास लाख का लीसा बिकना बंद, 25 करोड़ की लकड़ी का उठान भी नहीं हो सका

केंद्र की गाइडलाइन के बावजूद लीसे व लकड़ी की निकासी में मंडी शुल्क माफ नहीं होने से खफा कारोबारियों ने माल उठाना ही बंद कर दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 09:15 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 09:15 PM (IST)
हल्द्वानी में रोज पचास लाख का लीसा बिकना बंद, 25 करोड़ की लकड़ी का उठान भी नहीं हो सका
हल्द्वानी में रोज पचास लाख का लीसा बिकना बंद, 25 करोड़ की लकड़ी का उठान भी नहीं हो सका

हल्द्वानी, जेएनएन : बुरे दौर से गुजर रहा लीसा कारोबार मंडी शुल्क के चक्कर में फिर से संकट में आ चुका है। केंद्र की गाइडलाइन के बावजूद लीसे व लकड़ी की निकासी में मंडी शुल्क माफ नहीं होने से खफा कारोबारियों ने माल उठाना ही बंद कर दिया। बहिष्कार की वजह से पिछले दस दिन में करीब 25 करोड़ की लकड़ी वन निगम के डिपो में पड़ी रह गई। इसके अलावा रोजाना हल्द्वानी से उठने वाला 50 लाख का लीसा भी डंप पड़ा है। कारोबारियों के साथ-साथ सरकार को राजस्व नुकसान भी हो रहा है।

हल्द्वानी में सुल्ताननगरी व हुनमानगढ़ी स्थित डिपो में पहाड़ से आने वाले लीसे को स्टॉक कर नीलाम किया जाता है। वहीं, वन निगम डिपो से लकड़ी की बिक्री करता है। वनसंपदा होने के बावजूद निकासी के दौरान मंडी शुल्क देना पड़ता है। जिसका भुगतान खरीदार करना पड़ता है। फॉरेस्ट व निगम के जरिये यह मंडी के खाते में पहुंच जाती है। लकड़ी व लीसा व्यापारी यूनियन के मुताबिक पिछले महीने केंद्र सरकार ने लीसा और लकड़ी की नीलामी के बाद उठान के वक्त लिया जाना वाला मंडी शुल्क माफ कर दिया था। एक जुलाई से पांच जुलाई तक आदेश का फायदा भी मिला।

मगर फिर दोबारा से नियमों के विपरित शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। लीसा कारोबारी व यूनियन के सदस्य सागर पांडे ने बताया कि माल की कीमत का ढाई प्रतिशत उन लोगों पर मंडी चार्ज लाद दिया जाता है। लॉकडाउन के दौरान निकासी पूरी तरह बंद थी। जिससे पूरे देश में लकड़ी व लीसा कारोबार को झटका लगा था। यहीं वजह है कि केंद्र द्वारा मंडी शुल्क हटाकर राहत दी गई। उत्तर प्रदेश, एमपी समेत अन्य राज्यों में आदेश लागू भी हो गया। मगर उत्तराखंड में शुल्क वसूल उत्पीडऩ किया जा रहा। कारोबारी पांडे के मुताबिक मांग पूरी होने तक निकासी का बहिष्कार जारी रहेगा।

तेजस्विनी पाटिल, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं ने बताया कि कारोबारियों की समस्या को लेकर प्रमुख वन संरक्षक को पत्र भेज असमंजस दूर करने की मांग की जाएगी। आदेश के मुताबिक ही उन्हें राहत दी जाएगी। वन विभाग लीसे की बिक्री करता है जबकि लकड़ी का जिम्मा वन निगम पर है।

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