नैनीताल के चायना पीक पहाड़ी के 60 मीटर हिस्से में आधा फीट चौड़ी दरार, खतरा बढ़ा

भूगर्भीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील नैनीताल के चाइना पीक पहाड़ी के 50-60 मीटर हिस्से में करीब आधी फीट चौड़ी दरार और उभर आई है। इसने प्रशासन की चिंता और बढ़ा दी है।

By Edited By: Publish:Tue, 26 May 2020 05:42 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 10:00 AM (IST)
नैनीताल के चायना पीक पहाड़ी के 60 मीटर हिस्से में आधा फीट चौड़ी दरार, खतरा बढ़ा
नैनीताल के चायना पीक पहाड़ी के 60 मीटर हिस्से में आधा फीट चौड़ी दरार, खतरा बढ़ा

नैनीताल, जेएनएन : भूगर्भीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील नैनीताल के चाइना पीक पहाड़ी के 50-60 मीटर हिस्से में करीब आधी फीट चौड़ी दरार और उभर आई है। इसने प्रशासन की चिंता और बढ़ा दी है। इस दरार से चायना पीक की तलहटी में रहने वाली हजारों की आबादी की टेंशन और बढ़ गई है।

इसी साल 29 जनवरी को पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा दरक गया था। अगले दिन जिला प्रशासन, जीएसआइ, लोनिवि और आपदा प्रबंधन की टीम ने पहाड़ी का मौका मुआयना किया था। वैज्ञानिको ने पहाड़ी के नमूने लेकर परीक्षण को भेजने के साथ ही यह साफ किया था पहाड़ी भुरभुरी होने के कारण भविष्य में भी भूस्खलन की संभावना बनी रहेगी।

संभावित खतरे को देखते हुए डीएम सविन बंसल ने वाडिया इंस्टीट्यूट और इसरो को पत्र लिखकर पहाड़ी के सर्वे के लिए वैज्ञानिकों की टीम की मांग की थी, लेकिन पांच माह बीतने के बाद न वैज्ञानिकों की टीम पहुंची और न ही पहाड़ी का सर्वे हो पाया। इधर, बीते दिनों क्षेत्र के कुछ युवक पहाड़ी पर घूमने निकले थे। युवकों ने सत्यनारायण मंदिर के समीप की पहाड़ी का करीब 60 मीटर हिस्से में आधा फिट चौड़ी दरार देखी, युवकों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।

वीडियो का संज्ञान लिया, जांच में सही निकला मामला

वीडियो का संज्ञान लेते हुए एसडीएम विनोद कुमार ने टीम भेजकर निरीक्षण कराया तो मामला सही निकला। एसडीएम का कहना है कि जानकारी डीएम के संज्ञान में लाई गई है, जल्द ही वैज्ञानिक व विशेषज्ञों की टीम पहाड़ी का निरीक्षण करेगी।

कई बार दरक चुकी है पहाड़ी

भूगर्भिक दृष्टि से संवेदनशील चाइना पीक पहाड़ी भुरभुरी है। अधिक बारिश और पहाड़ी में पानी की अधिकता होने से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। पांच माह पूर्व पहाड़ी पर भूस्खलन का कारण वैज्ञानिकों ने अधिक बर्फबारी और बारिश को बताया था। जिसके बाद से पहाड़ी में तीन बार भूस्खलन हो चुका है। इससे पूर्व भी 1987 और 1988 में पहाड़ी पर भूस्खलन हुआ था। जिसमें भारी मात्रा में मलबा आबादी क्षेत्र तक आ गया था।

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