हल्द्वानी नगर निगम का आधे से अधिक बजट वेतन व भत्तों पर हाे रहा खर्च, नहीं बढ़ रही आय

कुमाऊं के सबसे बड़े नगर निगम हल्द्वानी में बजट की कमी से कई काम अटके हैं। सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति दो साल से नहीं हुई है। कागजों में भारी-भरकम दिखने वाला नगर निगम का बजट धरातल पर साकार नहीं हो पाता।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 07:47 AM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 07:47 AM (IST)
हल्द्वानी नगर निगम का आधे से अधिक बजट वेतन व भत्तों पर हाे रहा खर्च, नहीं बढ़ रही आय
हल्द्वानी नगर निगम का आधे से अधिक बजट वेतन व भत्तों पर हाे रहा खर्च, नहीं बढ़ रही आय

हल्द्वानी, जेएनएन : कुमाऊं के सबसे बड़े नगर निगम हल्द्वानी में बजट की कमी से कई काम अटके हैं। सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति दो साल से नहीं हुई है। कागजों में भारी-भरकम दिखने वाला नगर निगम का बजट धरातल पर साकार नहीं हो पाता। पिछले तीन वर्षों में निगम सालाना 55 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं कर पाया। कागजों में बजट एक अरब रुपये से अधिक पहुंचता है।

चालू वित्तीय वर्ष के लिए निगम ने 152 करोड़ की आय का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्ष की अवशेष धनराशि के साथ यह रकम 197 करोड़ पहुंचती है। वित्तीय वर्ष में 184 करोड़ खर्च का लक्ष्य तय किया है। इसमें 43.2 करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, बोनस, एरियर आदि पर व्यय होगा। दस करोड़ रुपये स्वास्थ्य अनुभाग वाहनों की मरम्मत, सफाई उपकरण व कीटनाशक खरीद में व्यय करेगा।

सड़क, नाली, पुलिया, पार्क आदि के लिए 15 करोड़ का बजट प्रस्तावित है, लेकिन पिछले तीन वर्षों के दौरान इस मद में महज 65 लाख की राशि व्यय हुई है। बीते वित्तीय वर्ष में कुल 54.01 करोड़ खर्चों के सापेक्ष 31.26 करोड़ वेतन-भत्ते और एरियर में खर्च हो गया। यह रकम कुल व्यय का 57 फीसद से अधिक है। 1.70 करोड़ रुपये विधिक व्यय में दर्शाया है। बीते वर्ष 1.02 करोड़ रुपये विविध कार्यों में व्यय हो गई।

तीन वर्षों में निगम का आय-व्यय (करोड़ में)

वित्तीय वर्ष          आय          व्यय

2017-18          43.84        46.13

2018-19          69.44        55.72

2019-20          63.21        54.01

आय बढ़ाने की नहीं दिखाई इच्छाशक्ति

विकास कार्यों के लिए धन की मांग करते पार्षदों को नगर निगम प्रशासन बजट की कमी का हवाला देकर टाल देता है, मगर निगम की आय बढ़ाने की बात आती है तो इच्छाशक्ति नहीं दिखती। धीरेंद्र रावत समेत अन्य पार्षद व्यावसायिक लायसेंस के लिए बनी उपविधि का नियमानुसार पालन कराने की मांग उठाते हैं लेकिन इसे ताल दिया जाता है। पार्षद धीरेंद्र रावत कहते हैं व्यवसायिक उपविधि में 105 मद शामिल हैं, लेकिन 70 फीसद से अधिक व्यवसाय अपंजीकृत हैं। नए वार्डों में एक भी व्यवसाय रजिस्टर्ड नहीं है। ऐसे में व्यवस्थित निगरानी सिस्टम विकसित कर लायसेंस मद में आय दो से तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। निगरानी व सर्वे के लिए अस्थायी कर्मचारी नियुक्त किए जाने चाहिए। निगम को अपनी आय के साथ जनसुविधा बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

chat bot
आपका साथी