कांनवेंट से बेहतर है यह सरकारी स्‍कूल, स्‍मार्ट क्‍लास व लाइ्ब्रेरी में पढ़ते हैं बच्‍चे

एक ओर जहां निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए मारामारी होती है और हर अभिभावक अपने बच्चे को कॉन्वेंट में ही पढ़ाना चाहता है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 10 Dec 2018 11:44 AM (IST) Updated:Mon, 10 Dec 2018 07:34 PM (IST)
कांनवेंट से बेहतर है यह सरकारी स्‍कूल, स्‍मार्ट क्‍लास व लाइ्ब्रेरी में पढ़ते हैं बच्‍चे
कांनवेंट से बेहतर है यह सरकारी स्‍कूल, स्‍मार्ट क्‍लास व लाइ्ब्रेरी में पढ़ते हैं बच्‍चे

बृजेश पांडेय, रुद्रपुर : एक ओर जहां निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए मारामारी होती है और हर अभिभावक अपने बच्चे को कॉन्वेंट में ही पढ़ाना चाहता है। वहीं इसके इतर एक सरकारी स्कूल ऐसा है, जो कॉन्वेंट को मात दे रहा है। यहां स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी सहित अन्य सुविधाएं शिक्षकों ने ही खुद के प्रयासों शानदार बना रखी हैं। यही कारण है कि कई निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूल का रुख कर रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी इससे उत्साहित हैं। साथ ही वे अन्य सरकारी स्कूलों के लिए भी इसे उदाहरण बता रहे हैं।

रुद्रपुर जिले के रविंद्र नगर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय, शिक्षा की उस बदलती तस्वीर को बयां कर रहा है, जहां पर छात्र नयी तकनीक और उन्नत संसाधनों का लाभ उठा रहे हैं। यहां ब्लैक बोर्ड के साथ बच्चे प्रोजेक्टर से भी पढ़ाई करते हैं। यहां के बच्चों को पेयजल और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझना नहीं पड़ता। स्कूल पिछले पांच वर्षों में बुनियादी रूप से इतना सक्षम हो गया कि प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस देकर पढ़ने वाले बच्चे अब यहां एडमिशन करा रहे हैं।

यहां के शिक्षकों ने लोगों की धारणा को बदला

इस स्कूल में इस वर्ष लगभग 40 ऐसे बच्चों ने दाखिला लिया। उनमें से कुछ कानवेंट के भी हैं। नियमित वर्ग संचालन, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति, आधुनिक तकनीक से बच्चों की पढ़ाई आदि कई समानांतर व्यवस्थाओं ने सरकारी स्कूल के प्रति लोगों में बन रही विपरीत अवधारणा को बदला दिया है। जिससे अभिभावक बड़े सम्मान से अपने बच्चों को यहां पढ़ने भेजते हैं। स्कूल के प्रधानाचार्य बताते हैं कि स्कूल में बेहतर शिक्षा के माहौल होने से वर्तमान में स्कूल में कक्षा एक से पांच तक 200 से अधिक बच्चे नामांकित हैं, और नियमित उपस्थिति का आंकड़ा 95 फीसदी के आसपास है। रुद्रपुर का यह पहला सरकारी स्कूल है, जहां प्रोजेक्टर से पढ़ाई होती है।

छात्र-छात्राओं के लिए अलग शौचालय

छात्राओं के लिए इस स्कूल में कॉमन रूम है। हर कमरे में पंखे लगे हुए हैं। शिक्षकों के लिए अलग शौचालय है, जबकि छात्र व छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था है। स्कूल परिसर में बोरिंग है और हर जगह पाइपलाइन से जलापूर्ति की जाती है। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस स्कूल में हर 15 दिनों पर अभिभावकों के साथ मीटिंग कर व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाये जाने पर विचार मांगा जाता है।

स्थानीय लोगों का मिलता है भरपूर सहयोग

विद्यालय के व्यवस्थित संचालन में आसपास के ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिलता है। जब से स्कूल में व्यवस्था बदली है, अभिभावक भी जागरूक हुए हैं। पठन-पाठन को सुचारु बनाने में यदि कोई समस्या आती है, तो शिक्षक आपस में मिलकर उसका समाधान निकाल लेते है।

इन लोगों का मिलता है सहयोग

स्कूल में व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कुछ ग्रामीणों ने अर्थदान भी किया है। साथ ही किसान, डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी समेत हर वर्ग के लोग रहते हैं। इन परिवारों के बच्चे भी आज बड़े सम्मान से इस सरकारी स्कूल में पढऩे आते हैं।

शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान

इस विद्यालय की तस्वीर बदलने में कीर्ती शर्मा सहायक अध्यापक का विषेश योगदान है। वर्ष 2009 में स्कूल की स्थिति काफी खराब थी। तक से स्कूल को बेहतर बनाने के लिए जुटे हैं। वर्तमान में कोई भी खर्च आदि जरुरते होती है तो प्रधानाचार्य और कीर्ती शर्मा स्वयं से उसको पूरा करते हैं।

शादी में मिली टीवी स्कूल में लगाया

बच्चों को डिजीटल पढ़ाई और स्मार्ट क्लास के लिए शिक्षक कीर्ती शर्मा ने अपने विवाह में मिली टीवी और एक अन्य घर की टीवी चार साल पहले ही स्कूल में लगा दिया। बच्चों को डीवीडी लगाकर आधुनिक पढ़ाई से रुबरू कराने लगे। इसके बाद प्रोजेक्टर से बच्चों को अंग्रेजी, विज्ञान और अन्य विषयों को पढाया जाने लगा।

प्रधानाचार्य स्वयं करते हैं सफाई

स्कूल के प्रधानाचार्य रोजाना पाइप से शौचालय, परिसर आदि की सफाई स्वयं करते हैं। जबकि एक अन्य सफाईकर्मी लगाया गया है।

एक नजर स्कूल की सुविधाओं पर

-  बालक एवं बालिका के लिए अलग शौचालय

-  परिसर में लगा हुआ फर्श कट स्टोन

- पीने के पानी से लेकर शौचालय तक में पाइपलाइन

- बैठने के लिए प्रत्येक कक्ष में बेंच की सुविधा

- प्रोजेक्टर, टीवी, डीवीडी और ग्रीन बोर्ड

- मिड डे मील के लिए प्रत्येक बच्चे हेतु थाली, ग्लास और चम्मच कटोरी

- प्रत्येक कक्षा में पंखा

- पुस्तकालय, तथा कक्षावार उनमें पुस्तकें

- बोरिंग और समर्सिबल से ताजा पानी बराबर भरना

स्वच्छता और सुंदरता पर एक नजर

विद्यालय के मुख्य द्वार से लेकर अंदर कमरों तक हरियाली

कमरों से लेकर कीचन तक फर्श

कूड़ेदान का बच्चे करते हैं प्रयोग- खाने के बाद बर्तन आदि साफ करने के लिए कर्मचारी

खुद कराई फर्नीचर की व्‍यवस्‍था

कीर्ती शर्मा, सहायक अध्यापक ने बताया कि मेरी ज्‍वानिंग 2009 में हुई। उस वक्त अंग्रेजी माध्‍यम के स्कूल में पढ़ा रहा था। प्राथमिक विद्यालय में आने के बाद यहां पर स्वयं फर्नीचर की व्यवस्था कराई । इसके बाद एक-एक करके समाजसेवी भी आगे आए और अब सब दुरूस्त है। अब शिक्षकों की कमी को दूर करना है।

सात शिक्षकों की स्‍कूलों में है जरूरत

केके शर्मा प्रधानाचार्य राजकीय प्राथमिक विद्यालय रविन्‍द्रद्रनगर ने बताया कि इस विद्यालय में सात शिक्षकों की आवश्यकता है। जिससे प्रत्येक कक्षा में एक शिक्षक को लगाया जा सके। विद्यालय में सहायक अध्यापक की तरफ से बेहतर प्रयास किया जा रहा है।  जिससे स्कूल की स्थिति ऐसी है। बस अब जल्द ही कम्यूनिटी पुस्तकालय खोलने की तैयारी है। जिससे प्राथमिक स्कूल का नाम अन्य अच्छे कार्यो में आ सके।

अन्‍य स्‍कूलों का भी होगा कायाकल्‍प

एचएल गौतम, मुख्य शिक्षाधिकारी ऊधम सिंह नगर ने बताया कि समाज के लोग विद्यालय का पूरा सहयोग कर रहे हैं। वहां पर तैनात शिक्षक स्कूल की सुविधाओं और पढ़ाई को लेकर उनका सहयोग काफी अच्छा है। सीएस आर के तहत अब धीरे-धीरे अन्य स्कूलों का भी कायाकल्प होगा। हालांकि इस विद्यालय को इसी साल सीएसआर से जोड़ा गया है।

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