पिथौरागढ़ के कोट्यूड़ा गांव में गिलोय का काढ़ा व तिमूर का सूप बढ़ा रहा इम्यूनिटी

गांव के लोग मानते हैं कि उनके पूर्वजों की सेहत गांव में लगे गिलोय और तिमूर ने ही हमेशा अच्छी रखी। प्रकृति ने उनके गांव को खूब गिलोय दी है। गिलोय का काढ़ा और तिमूर का सूप सबकी सेहत अच्छी रख कर कोरोना को हरा रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 04:00 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 02:23 PM (IST)
पिथौरागढ़ के कोट्यूड़ा गांव में गिलोय का काढ़ा व तिमूर का सूप बढ़ा रहा इम्यूनिटी
इसमें एंटी फंगल और एंटी वैक्ट्रियल गुण होते हैं।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : हर परिवार के आंगन में पेड़ पर लटकी गिलोय और खेतों में तिमूर कोट्यूड़ा गांव के लोगों की सेहत का राज बना है। इस गांव में जाने पर चाय का गिलास नहीं बल्कि गिलोय का काढ़ा और तिमूर का सूप पिलाया जाता है। यह हकीकत मुनस्यारी के तल्ला जोहार में सुंदरीनाग पहाड़ी में स्थित सबसे ऊंचाई वाले कोट्यूड़ा गांव की है। गांव के लोग मानते हैं कि उनके पूर्वजों की सेहत गांव में लगे गिलोय और तिमूर ने ही हमेशा अच्छी रखी। कोरोना काल में तो गिलोय की चर्चा आम है और प्रकृति ने उनके गांव को खूब गिलोय दी है। गिलोय का काढ़ा और तिमूर का सूप सबकी सेहत अच्छी रख कर कोरोना को हरा रहा है।

ग्राम प्रधान तुलसी देवी कहती हैं कि उनके पूर्वज हमेशा तिमूर की दतुवन का प्रयोग करते आए हैं। मुंह में एंजाइम बनाने वाला, पाचन तंत्र मजबूत करता है। यह एंटी सैप्टिक होता है दांत दर्द को ठीक करता है। इसमें विटामिन ए, फारफोरस, थायमिन और कैरोटिन होता है। इसमें एंटी फंगल और एंटी वैक्ट्रियल गुण होते हैं। इम्यूनिटी को बढ़ता है। दर्द निवारक है भूख बढ़ाने के साथ खून का सर्कुलेशन नियमित रखता है । कोरोना काल के चलते एक बार फिर ग्रामीणों ने पूर्वजों की राह पर चल कर तिमूर की लकड़ी से दतुवन किया। तिमूर के बीजों को पीस कर तीन बार इसका सेवन किया जा रहा है।

गांव के उद्यानपति दिनेश बथ्याल बताते हैं कि हमे प्रकृति ने बीमारियों से लडऩे के लिए औषधि दी है। घर के आंगन में गिलोय और तिमूर दिया है। इनका प्रयोग कर हमने गांव को तो कोरोना संक्रमण के बचाया । इस बीच गांव में फैले वायरल का भी उपचार इन दो चीजों से किया है। एक दूसरे के घर जाने पर अब चाय के स्थान पर गिलोय का काढ़ा और तिमूर का सूप दिया जाता है।

गांव निवासी  पुष्कर राम   बताते हैं कि हमारा गांव पचास परिवारों वाला है। पिछले वर्ष भी 25 से अधिक प्रवासी गांव लौटे और इस बार दस के आसपास प्रवासी लौटे। गांव कोरोना संक्रमण से बचा है। यह सब गिलोय और तिमूर का प्रभाव है। सरकार ने जो सावधानी बताई है उसका पालन किया जाता है। हर घर के आंगन में पानी से भरा बर्तन और साबुन रखा गया है। सभी परिवारों को नियमित रू प से हाथ धोने को कहा जाता है।

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