ब्रेस्‍ट कैंसर को हराकर गीता ने बैडमिंटन में जीता दो गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज, जानिए पूरी कहानी

बैडमिंटन खेल रही गीता नेगी ने 56 साल की उम्र में भी जीत का जज्बा बरकरार रखा है। उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए गीता ने गोवा में 19 से 26 सितंबर के बीच आल इंडिया मास्टर्स बैडमिंटन टूर्नामेंट में दो स्वर्ण व एक रजत पदक जीता है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 09:05 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 09:05 AM (IST)
ब्रेस्‍ट कैंसर को हराकर गीता ने बैडमिंटन में जीता दो गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज, जानिए पूरी कहानी
ब्रेस्‍ट कैंसर को हराकर गीता ने बैडमिंटन में जीता दो गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज, जानिए पूरी कहानी

मनीस पांडेय, हल्द्वानी : बैडमिंटन खेल रही गीता नेगी ने 56 साल की उम्र में भी जीत का जज्बा बरकरार रखा है। उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए गीता ने गोवा में 19 से 26 सितंबर के बीच आल इंडिया मास्टर्स बैडमिंटन टूर्नामेंट में दो स्वर्ण व एक रजत पदक जीता है। 55 से 59 वर्ष आयु वर्ग में वूमेन सिंगल में गोल्ड, वूमेन डबल में गोल्ड व मिक्स डबल में सिल्वर पदक उत्तराखंड के नाम किया। इसके बाद वह 28 नवंबर से चार दिसंबर तक स्पेन में आयोजित इंटरनेशनल स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। गीता उन महिलाओं में हैं, जिन्होंने अपने जज्बे से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को मात दी है।

हल्द्वानी के हीरानगर निवासी गीता अल्मोड़ा जिले में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चनौंदा में स्पोट्र्स शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्होंने नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। गीता के पति गिरीश चंद्र सिंह नेगी जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण संस्थान कोसी, कटारमल में विज्ञानी के पद पर हैं। गीता को एक 27 साल की बेटी व 24 साल का बेटा है।

घर-परिवार की जिम्मेदारी के बाद भी वह नियमित रूप से खेल का अभ्यास कर रही हैं। गीता के लिए वह पल बड़ा झकझोर देने वाला था जब उन पर ब्रेड कैंसर की पहचान हुई। वह सेकेंड स्टेज में पहुंच गया था। अगस्त 2018 से दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल में इलाज शुरू हुआ। पति व बच्चों ने गीता का मनोबल बढ़ाया। कीमोथेरेपी के जरिये 2020 तक स्वास्थ्य में सुधार हुआ। आज अब वह पूरी जीवटता से बैडमिंटन में आगे बढ़ रही हैं।

फारेस्ट कप जीतकर की शुरुआत

गीता ने बताया कि बचपन से ही बैडमिंटन, बास्केटबाल, हाकी आदि खेल रही थी। वर्ष 2014 में मेडिकल कालेज में आयोजित फारेस्ट कप में बैडमिंटन में सिल्वर मेडल मिला तो आगे खेलने का हौसला मिला। यहीं से पता चला कि 35 साल के बाद मास्टर्स प्रतियोगिता में शामिल हुआ जा सकता है। 2015 में सिविल सर्विसेज में नेशनल खेलते हुए जीत हासिल की। कैंसर से उबरने के बाद 2020 में मास्टर्स नेशनल बैडमिंटन में कांस्य पदक मिला। इसके बाद गोवा में दो गोल्ड व एक सिल्वर जीता।

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