नैनीताल में कूड़ा कलेक्शन का काम एक दशक बाद भी नहीं शुरू हो सका
नैनीताल शहर में घर-घर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही जैविक-अजैविक कूड़ा अलग-अलग करने का काम एक दशक बाद भी सही तरीके से शुरू नहीं हो सका। पालिका ने प्रयोग तो खूब किए मगर कोई प्रयोग अंजाम तक नहीं पहुंचा। अलबत्ता इसमें विवादों का साया बना हुआ है।
नैनीताल, जेएनएन : नैनीताल शहर में घर-घर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही जैविक-अजैविक कूड़ा अलग-अलग करने का काम एक दशक बाद भी सही तरीके से शुरू नहीं हो सका। पालिका ने प्रयोग तो खूब किए मगर कोई प्रयोग अंजाम तक नहीं पहुंचा। अलबत्ता इसमें विवादों का साया बना हुआ है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में नैनीताल को जेएनएनयूआरएम योजना के तहत चयनित किया गया था। इसके तहत शहरी गरीबों के लिए आवास के अलावा पार्किंग तथा साफ सफाई के लिए बजट दिया गया। शहरी गरीबों के लिए आवास भी बन गए। योजना के तहत घर-घर कूड़ा कलेक्शन का जिम्मा एटूजेड संस्था को दिया गया। मगर घर-घर कलेक्शन नहीं होने से व्यापारी समुदाय से विवाद होने पर जनाक्रोश भड़का और संस्था को जाना पड़ा। जांच की गई तो बड़े पैमाने पर अनियमितता उजागर हुई।
इसके बाद पालिका अलग प्रकोष्ठ बनाकर घर घर से जैविक अजैविक कूड़ा एकत्र करने को हजारों परिवारों को दो दो डस्टबिन दिए, एक वार्ड से शुरुआत की गई मगर वो भी परवान नहीं चढ़ी। एनजीटी के आदेश के बाद हल्द्वानी रोड पर कूड़ा फेंकने पर पाबंदी लगी, उसके बाद से कूड़ा हल्द्वानी गौलापार फेंका जा रहा है। इसमें हर माह पालिका लाखों रूपए खर्च कर रही है। इधर नेशले कंपनी के सहयोग से चल रहे हिलदारी अभियान के तहत सूखाताल वार्ड से फिर जैविक अजैविक कूड़ा कलेक्शन की शुरुआत की गई है। कुमाऊं विवि के नैनो टेक्नोलॉजी विभाग की ओर से प्लास्टिक से ग्राफीन बनाने का प्रोजेक्ट भी मंजूर हुआ है। यह प्रोजेक्ट्स चार करोड़ से अधिक का है मगर अब तक नारायण नगर में ट्रीटमेंट प्लांट के लिए वन भूमि का हस्तांतरण नहीं हो सका है। ईओ अशोक वर्मा का कहना है कि घर-घर से जैविक अजैविक कूड़ा अलग-अलग कर उससे आय प्राप्त करने के प्रयासों को तेज किया जाएगा।