सरकारी स्कूलों के बच्चों तक नहीं पहुंची मुफ्त किताबें और बिना किताबों के दो अगस्‍त से चलेगी क्‍लास

दो अगस्त से माध्यमिक स्कूल खुुलने हैं। स्कूल व कक्षाएं किस तरह से संचालित होंगी इसको लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी नहीं हुई है। फिलहाल शिक्षा विभाग ने लंबे समय बाद वर्षाकाल के बीच खुलने जा रहे स्कूलों की साफ-सफाई को लेकर विस्तृत निर्देश जारी किए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:25 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 09:25 AM (IST)
सरकारी स्कूलों के बच्चों तक नहीं पहुंची मुफ्त किताबें और बिना किताबों के दो अगस्‍त से चलेगी क्‍लास
सरकारी स्कूलों के बच्चों तक नहीं पहुंची मुफ्त किताबें और बिना किताबों के दो अगस्‍त से चलेगी क्‍लास

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : प्रदेश सरकार दो अगस्त से माध्यमिक स्कूल खोलने की तैयारी में है। स्कूल व कक्षाएं किस तरह से संचालित होंगी, इसको लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी नहीं हुई है। फिलहाल, शिक्षा विभाग ने लंबे समय बाद वर्षाकाल के बीच खुलने जा रहे स्कूलों की साफ-सफाई को लेकर विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। सरकारी स्कूलों में मुफ्त किताबों का अभी तक कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में बच्चे बिना किताब के स्कूल पहुंचेंगे।

समग्र शिक्षा अभियान के तहत सरकारी व सरकारी वित्त पोषित अशासकीय स्कूलों में पढऩे वाले कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को निश्शुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती है। गाइडलाइन के अनुसार किताबों की धनराशि बच्चों के बैंक खाते में डालनी होती है। सूत्रों की मानें तो बच्चे प्राथमिक के बच्चे किताब नहीं खरीदते। ऐसे में विभाग किताब देने पर विचार कर रहा है। हालांकि प्रदेश स्तर पर अभी तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। मुख्य शिक्षाधिकारी नैनीताल केके गुप्ता ने बताया कि स्कूल ड्रेस की धनराशि हस्तांतरित की जा रही है। अभी किताबें नहीं पहुंची है। स्कूल खोलने को लेकर विभागीय शिक्षा विभाग से एसओपी का इंतजार है।

सामान्य वर्ग के बालक ड्रेस से वंचित

बच्चों की यूनिफार्म का बजट जिला स्तर पर पहुंच गया है। स्कूलों से ब्योरा मांगा गया है। मैदानी क्षेत्रों में यूनिफार्म के 600 रुपये बच्चे के बैंक खाते में डाले जाने हैं, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में बच्चों को ड्रेस खरीदकर दी जाएगी। सरकारी स्कूलों में गरीब व वंचित परिवार के बच्चे पढ़ते हैं। सामान्य वर्ग के बालकों को ड्रेस से वंचित कर दिया जाता है। सीमित छात्र संख्या वाले कई सरकारी स्कूलों में तीन से चार बच्चे ड्रेस से वंचित रह जाते हैं।

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