सुदंरढूंगा ट्रैक पर पोर्टरों के साथ गए थे बंगाल के छह ट्रैकर, चार की मौत, दो अब भी लापता

उत्‍तराखंड में मौसम का विकराल रूप पर्यटकों लिए भी जानलेवा साबित हुआ है। समय गुजरने के साथ ही आपदा की खबरें भी अब सामने आने लगी हैं। बागेश्‍वर जिले के सुंदरढूंगा घाटी में ट्रैक पर गए चार पर्यटकों की मौत हो गई तो दो लापता बताए जा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:56 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 08:43 AM (IST)
सुदंरढूंगा ट्रैक पर पोर्टरों के साथ गए थे बंगाल के छह ट्रैकर, चार की मौत, दो अब भी लापता
सुदंरढूंगा ट्रैक पर पोर्टरों के साथ गए थे बंगाल के छह ट्रैकर, चार की मौत, दो अब भी लापता

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : बागेश्‍वर जिले के सुंदरढूंगा घाटी में ट्रैकिंग के लिए स्‍थानीय पोर्टरों के साथ बंगाल के पोर्टर गए थे। चार ट्रैकरों की भारी बारिश की चपेट में आने से मौत हो गई। उनके दो साथी अब भी लापता हैं। वहीं, पिंडारी से द्वाली लौटे 42 पर्यटक समेत स्थानीय लोगों को हेलीकाप्टर से खरकिया लाया गया है।

15 सितंबर से पिंडारी, कफनी और सुंदरढूंगा की साहसिक यात्रा शुरू होती है। इस बार मौसम देर से साफ हुआ। इस कारण 11 अक्टूबर को सुंदरढूंगा की तरफ छह ट्रैकर रवाना हुए। उनके साथ बतौर पोर्टर गए सुरेंद्र सिंह ने बताया कि चार ट्रैकरों की मौत हो गई। उनके दो साथी अभी लापता हैं। एक घायल समेत चार पोर्टर खाती गांव लौट आए हैं। कपकोट के एसडीएम परितोष वर्मा ने बताया कि सुंदरढूंगा के लिए एसडीआरएफ की टीम रवाना की गई है।

वहीं, पिंडारी ग्लेशियर की तरफ 18 देशी और छह विदेसी पर्यटकों के साथ ही 10 स्थानीय ग्रामीण द्वाली में पुल बहने से फंसे हुए थे। सभी को गुरुवार को हेलीकाप्टर से निकाल लिया गया। सभी खरकिया पहुंच गए हैं। देर रात वाहनों से जिला मुख्यालय पहुंच जाएंगे। इस बीच कफनी ग्लेशियर की तरफ गए स्थानीय 20 ग्रामीणों का पता नहीं चल सका है।

जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि सुंदरढूंगा क्षेत्र में अभी बचाव कार्य नहीं शुरू हो सका है। चार ट्रैकरों की मौत की सूचना है। रेस्क्यू के बाद ही उनके नाम और स्थान का पता चल सकेगा। जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि सुंदरढूंगा क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। लेकिन अभी तक वहां से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है।

अनहोनी की सूचना किया नजरअंदाज

विभागीय सूत्रों के अनुसार जिला आपदा प्रबंधन विभाग को दो दिन पहले कोलकाता से किसी महिला ने फोन कर बताया था कि उसके स्वजन सुंदरढूंगा घाटी में ट्रैक पर गए हैं, जहां उनके साथ दुर्घटना की सूचना मिली है। महिला ने मदद की गुहार लगाई। लेकिन उसकी सूचना को हल्के में ही लिया गया। ऐसे में महिला ने देहरादून मुख्यालय से संपर्क किया तो बागेश्वर जिला प्रशासन हरकत में आया। 20 अक्टूबर को देर शाम एक टीम को रेस्क्यू के लिए रवाना किया। हालात गंभीर होते देख गुरुवार को एक और टीम रवाना की गई। हेलीकॉप्टर से भी मदद ली गई। वहीं, हिमाल संस्था के अध्यक्ष रमेश मुमुक्षु ने बताया कि ङ्क्षपडर घाटी में बारिश के कारण द्वाली और फुरकिया में 25 से अधिक लोग 18 अक्टूबर से फंसे हुए हैं। खाती गांव में नेटवर्क काम नहीं करता। सेटेलाइट फोन खराब पड़ा है।

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