हाईवे पर बर्बाद हो गया चार लाख लीटर पानी

रामनरग में पानी की कमी को देखते हुए सरकार व स्वयंसेवी संगठन जल संरक्षण का संदेश जोरशोर से देती है। लेकिन रामनगर में इस संदेश के विपरित हजारों लीटर पानी रोजना बर्बाद हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 07:13 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 07:13 PM (IST)
हाईवे पर बर्बाद हो गया चार लाख लीटर पानी
हाईवे पर बर्बाद हो गया चार लाख लीटर पानी

संस, रामनगर : भविष्य में पानी की कमी को देखते हुए सरकार व स्वयंसेवी संगठन जल संरक्षण का संदेश जोरशोर से देती है, लेकिन रामनगर में इस संदेश के विपरीत हजारों लीटर रोजाना पानी की बर्बादी हो रही है। दिन भर पेयजल टैक से शुद्ध जल नेशनल हाईवे पर पिछले एक महीने से बहकर बर्बाद हो रहा है। अनवरत बह रहे इस पानी को बंद करने के लिए अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है। यदि इस पानी को बहने से रोका जाए तो एक महीने में लाखों लीटर पानी बर्बाद होने से बच जाएगा।

नगर के आमडंडा रोड स्थित लोनिवि विश्राम गृह से हाईवे के ऊपर वर्ष 1980 के दशक में 25 लाख लीटर क्षमता वाला पेयजल टैक बनाया गया था। इस टैक में कोसी नदी से जल संस्थान शुद्ध पानी सप्लाई करता है। इस टैक से ही नगर को पेयजल आपूर्ति होती थी। पिछले एक माह से इस टैक के ठीक नीचे हाईवे पर पानी बह रहा है। औसतन एक माह में अब तक 4.32 लाख लीटर पानी बर्बाद हो चुका है। बर्बाद हो रहे इस पानी को बंद करने के लिए जल संस्थान ने गंभीरता नहीं दिखाई है। नगर में तीन साल पूर्व 53 करोड़ की लागत से पेयजल की कमी दूर करने के लिए एक साल पूर्व नई पेयजल योजना संचालित की गई थी। लोगों का कहना है कि यह पानी जल संस्थान के पेयजल टैक से बहकर बर्बाद हो रहा है। रोजाना बह रहे पेयजल को रोकने के लिए विभाग को आवश्यक कदम उठाने होंगे।

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दुर्घटना का बना है खतरा

हाईवे के किनारे मोड़ पर यह पानी बह रहा है। ऐसे में कई लोग इस जगह पर अब अपने वाहन तक धोने लगे है। मोड़ होने की वजह से सामने से आने वाला वाहन नहीं दिखने पर इस जगह पर दुर्घटना का खतरा भी बना हुआ है।

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औसतन बर्बाद हो रहा पानी

एक मिनट में -दस लीटर

एक घटे में -600 लीटर

24 घटे में --14400 लीटर

30 दिन में--432000 लीटर

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--हाईवे पर पानी बहकर बर्बाद होने की जानकारी नहीं है। कर्मचारियों को भेजकर मौके पर चेक कराएंगे। ताकि पता लग सके कि बर्बाद हो रहा पानी कैसे और क्यों बर्बाद रहा है।

-जेपी यादव, ईई जल संस्थान रामनगर

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