सितारगंज में पूर्व तहसील कर्मी ने बेचा सरकारी आवास, पूर्व अनुसेवक व पिता पर केस दर्ज
तहसील कर्मी ने खुद के पैसे से सरकारी आवास की मरम्मत करके उसे धोखे से बेच दिया। क्रेता के द्वारा मकान पर कब्जे के बाद मामला खुला। इसके बाद राजस्व निरीक्षक की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
जागरण संवाददाता, सितारगंज : क्षेत्र में धोखाधड़ी का अनोखा मामला सामने आया है। तहसील कर्मी ने खुद के पैसे से सरकारी आवास की मरम्मत करके उसे धोखे से बेच दिया। क्रेता के द्वारा मकान पर कब्जे के बाद मामला खुला। इसके बाद राजस्व निरीक्षक की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं, आरोपित पक्ष ने भी राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों पर बिना सबूत के कार्रवाई करने का आरोप लगाया है।
पटवारी फूल ङ्क्षसह ने पुलिस को सौंपी तहरीर में बताया कि 20 फरवरी को तहसीलदार की आख्या रिपोर्ट में लिखा गया है कि ग्राम रम्पुरा के खाता संख्या 1404 में मौजूद भूमि वर्ग 6-2 में सड़कें, रेलवे, भवन आदि भूमि जो अकृषक उपयोगों के लिए काम में लाई जाती है। तहसील आवास राजस्व विभाग खसरा नंबर 39 में बना हुआ। आरोप है कि राजस्व विभाग के अनुसेवक मोहन चंद पांडे इसी आवास में परिवार के साथ रहते थे। वह रिटायर हो चुके हैं। राजस्व निरीक्षक फूल ङ्क्षसह ने बताया कि पूर्व में निवास के दौरान मोहन पांडे ने कर्मचारी आवास की मरम्मत के बहाने मकान का निर्माण कर लिया था। जबकि खुद के पैसे से सरकारी आवास की मरम्मत न करा सकते हैं और न बना सकते हैं। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई।
वार्ड छह निवासी प्रकाश पांडे पुत्र मोहन चंद पांडे ने सरकारी क्वाटर को खुद का बताते हुए मनप्रीत कौर पत्नी गुरदेव ङ्क्षसह को 15 लाख 50 हजार रुपये में धोखाधड़ी कर 15 मार्च, 2016 को बेचकर कब्जा करा दिया। राजस्व अफसर ने आरोप लगाया कि प्रकाश पांडे, मोहन पांडे ने तहसील के कर्मचारी आवास की भूमि धोखाधड़ी कर मनप्रीत कौर को विक्रय की है। पुलिस ने मोहन पांडे, प्रकाश पांडे के खिलाफ धारा 409, 420 के तहत केस दर्ज कर लिया है। इधर, प्रकाश पांडे ने आरोप लगाया कि पूर्व में तहसील अफसरों की जांच में सरकारी आवास ब्रिकी का साक्ष्य नहीं मिला था। कहा कि तहसीलदार ने बदनाम करने की नीयत से उन पर मुकदमा दर्ज कराया है।
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