यूनिट स्थापित करने के लिए एनडीआरएफ को अपनी जमीन देगा फॉरेस्ट
हल्द्वानी में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ की यूनिट स्थापित होने की प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा दूर हो चुकी है। दरअसल एनडीआरएफ को 33 हेक्टेयर जमीन हासिल करने के लिए 66 हेक्टेयर जमीन बतौर क्षतिपूर्ति वन विभाग को देनी थी।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : हल्द्वानी में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ की यूनिट स्थापित होने की प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा दूर हो चुकी है। दरअसल, एनडीआरएफ को 33 हेक्टेयर जमीन हासिल करने के लिए 66 हेक्टेयर जमीन बतौर क्षतिपूर्ति वन विभाग को देनी थी। लेकिन केंद्रीय फोर्स होने के कारण वन विभाग ने ही अपनी दूसरी डिवीजन में पौधरोपण के लिए जमीन तलाश कर ली है। नोडल अफसर द्वारा मांगे गए सवालों का जवाब भी हाल में वन संरक्षक द्वारा दे दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द फॉरेस्ट लैंड अधिग्रहण का रास्ता साफ हो जाएगा।
अक्सर आपदाओं से सामना करने वाले उत्तराखंड में लोगों की जान बचाने और राहत-बचाव के कार्य पूरा करने के लिए एनडीआरएफ की जरूरत पड़ती है। लेकिन कुमाऊं में कहीं भी यूनिट या स्टेशन नहीं होने की वजह से अक्सर दिक्कत आती है। इसलिए हल्द्वानी में ओपन यूनिवर्सिटी के पास करीब 33 हेक्टेयर वन भूमि पर एनडीआरएफ की यूनिट बनाने का निर्णय लिया गया था। प्रक्रिया शुरू कर पूर्व में संयुक्त निरीक्षण भी हो चुका है। मगर 66 हेक्टेयर जमीन की क्षतिपूर्ति के लिए जरूरत पड़ रही थी। अब वन विभाग ने अपनी दूसरी डिवीजन तराई पूर्वी में यह जमीन खोज ली है।
क्षतिपूर्ति जमीन का मतलब
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बनाए नियम के मुताबिक अगर विकास कार्यों के लिए जंगलात की जमीन की जरूरत पड़ती है तो जितनी जमीन चाहिए, उससे दोगुनी क्षतिपूर्ति के ऐवज में देनी होगी। क्षतिपूर्ति इसलिए क्योंकि पुरानी जगह मौजूद पेड़ों का कटान होने से हरियाली को नुकसान होगा। इसलिए दूसरी जगह दोगुने पौधे लगा इसकी भरपाई की जाती है।
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