चंपावत जिले में अनियंत्रित हुई जंगल की आग, गांवों में विजिबिलिटी कम हुई
जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकना असंभव हो गया है। लगातार जंगल आग से धधक रहे हैं। दमकल विभाग जरूर आग को फैलने से रोकने में कामयाब रहा है। लेकिन विभाग को सूचना मिलने से पहले ही आग चारों ओर फैल जा रही है।
चम्पावत, जागरण संवाददाता : जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोकना असंभव हो गया है। लगातार जंगल आग से धधक रहे हैं। दमकल विभाग जरूर आग को फैलने से रोकने में कामयाब रहा है। लेकिन विभाग को सूचना मिलने से पहले ही आग चारों ओर फैल जा रही है। शनिवार की देर शाम चंपावत जिले में कई जंगलों में आग लगने से बड़े पैमाने पर पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा है। जंगलों से उठ रहे धुएं के गुबार से जिले के कई स्थानों पर विजिबिलिटी 25 से 30 मीटर तक पहुंच गई है।
शनिवार के बाराकोट विकास खंड के क्वारकोली और लड़ीधुरा के जंगलों में आग लग गई। सूचना के बाद एलएफएम मोहन सिंह थापा के नेतृत्व में दमकल विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। हालांकि वनाग्नि से तीन हेक्टेयर जंगल में पेड़ पौधों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। आग बुझाने में मोहन सिंह थापा, सलामत जान, राजेश खर्कवाल, भरत सिह बोहरा, गोविंद पनेरू, चंचल सिंह माहरा आदि जुटे रहे। इधर देवीधुरा, पाटी, भिंगराड़ा के जंगलों में भी आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इन क्षेत्रों में जंगल से उठ रहे धुएं से विजिबिलिटि 25 से 30 मीटर तक पहुंच गई है।
मरोड़ाखान में लगी आग ने झूमाधुरी के जंगल को चपेट में लिया
शनिवार को मरोड़ाखान के जंगल में लगी आग रविवार को पाटनी पाटनी गांव के झूमाधुरी के जंगल तक पहुंच गई। आग से झूमाधुरी में बांज का आधा जंगल राख हो गया। आग धीरे-धीरे पूरे जंगल में फैल रही है। सूचना मिलने के बाद स्थानीय लोग आग बुझाने पहुंचे लेकिन घना जंगल होने और आग तेजी से फैलने के कारण उसे बुझाया नहीं जा सका। इधर शनिवार की रात बाराकोट विकास खंड के ही छुलापै गांव का ख्वेड़ा नामक जंगल आग से जल गया। रविवार की सुबह भी जंगल में आग सुलग रही थी।
पिरुल और सूखी पत्तियों से तेजी से फैल रही आग
जिले के जंगलों में नमी पूरी तरह सूख गई है। चीड़ का पिरुल और अन्य पेड़ों की सूखी पत्तियां आग भड़काने में मदद कर रही हैं। बारिश न होने और तपिश बढ़ने के कारण जंगलों की घास भी सूख गई है। वन विभाग के रेंजर दीप चंद्र जोशी ने बताया कि सड़क के आस-पास से सटे जंगलों में पिरूल और सूखी पत्तियों को हटाने का काम चल रहा है। खड़ी पहाड़ी में स्थित जंगलों में यह काम करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने बताया कि आग लगने की 70 प्रतिशत घटनाओं में शरारती तत्वों का हाथ है। वन विभाग ऐसे लोगों की पहचान कर रहा है।
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