एक बंदर पकड़ने में वन विभाग खर्च कर रहा 700 रुपये, ढाई लाख में 350 सौ बंदर पकड़ जंगल में छोड़ा

वन विभाग की तराई पूर्वी डिवीजन ने इन दिनों बंदर पकड़ो अभियान शुरू कर रखा है। पिछले छह दिन में आबादी क्षेत्र से 350 से अधिक बंदर को पकड़ घने जंगल में छोड़ा गया है। महकमे को 700 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से जेब ढीली करनी पड़ रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 08:42 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:42 AM (IST)
एक बंदर पकड़ने में वन विभाग खर्च कर रहा 700 रुपये, ढाई लाख में 350 सौ बंदर पकड़ जंगल में छोड़ा
एक बंदर पकड़ने में वन विभाग खर्च कर रहा 700 रुपये, ढाई लाख में 350 सौ बंदर पकड़ गया

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : वन विभाग की तराई पूर्वी डिवीजन ने इन दिनों बंदर पकड़ो अभियान शुरू कर रखा है। पिछले छह दिन में आबादी क्षेत्र से 350 से अधिक बंदर को पकड़ घने जंगल में छोड़ा गया है। लेकिन इस काम में महकमे को 700 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से जेब ढीली करनी पड़ रही है। यानी अब तक करीब ढाई लाख रुपये इस अभियान में खर्च हो चुके हैं। हालांकि, फसल के दुश्मन बन चुके इन बंदरों को आबादी से दूर करने की वजह से लोग विभाग की सराहना जरूर कर रहे हैं।

पहाड़ से लेकर मैदान तक बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। पहाड़ में परेशानी सबसे ज्यादा है। स्थिति यह है कि कई लोगों ने इनके आतंक से तंग आकर खेती तक छोड़ दी है। वहीं, उत्तराखंड की सबसे बड़ी डिवीजन कही जाने वाली तराई पूर्वी डिवीजन के डीएफओ संदीप कुमार ने मथुरा से पांच सदस्यीय टीम को बुलाया है। छह दिन से टीम अभियान में जुटी है। शुरूआत गौलापार के गांवों से की गई थी। गौला रेंज के इस क्षेत्र में 100 से अधिक बंदर पकड़े गए थे। अब शुक्रवार से डौली रेंज में अभियाल चल रहा है। जहां 250 बंदर अब तक पकड़े जा चुके हैं। डिवीजन में कुल नौ रेंज आती है। अन्य जगहों पर भी मुहिम चलाई जाएगी।

बंदरबाड़े की जरूरत 

गौलापार में 40 हेक्टेयर जमीन पर बंदरबाड़ा बनाया जाना था। इसके लिए वन विभाग ने दानीबंगर के पास जमीन पर चिन्हित कर ली थी। लेकिन प्रस्ताव अभी अटक गया है। बंदरबाड़े में आसपास के इलाकों से बंदरों को पकड़ने के बाद उनके बधियाकरण और उपचार की व्यवस्था भी होनी है। 

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