नव संवत्सर की पहली एकादशी आज, दूध, तिल, फूल, पंचामृत से होगी श्री विष्णु की पूजा
शुक्रवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी है। नवसंवत्सर की यह पहली एकादशी है। मान्यता है कि एकादशी पर व्रत व पूजा करने से भक्तों की वांछित मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु व देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: शुक्रवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी है। नवसंवत्सर की यह पहली एकादशी है। मान्यता है कि एकादशी पर व्रत व पूजा करने से भक्तों की वांछित मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु व देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। भगवान विष्णु व महालक्ष्मी की पूजा व व्रत करने का संकल्प लें। व्रत के दौरान इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। फलाहार और दूध का सेवन करना चाहिए। व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को फल, पीले फूल, दूध, दही, तिल व पंचामृत अर्पित करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
एकादशी व्रत की कथा सुनें
व्रत करने वाले व्यक्ति को एकादशी व्रत की कथा सुननी चाहिए। द्वादशी तिथि पर यानी अगले दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं, दान-दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। कोरोना संक्रमण को देखते हुए भोजन के लिए पंडित न मिले तो बाद में अनाज दान का संकल्प ले सकते हैं। एकादशी पर बाल गोपाल की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।
श्रीकृष्ण ने बताया था एकादशी का महत्व
कामदा एकादशी के व्रत से पापों का असर खत्म होता है और पुण्य में बढ़ोतरी होती है। सालभर की सभी एकादशियों का महत्व और उनकी कथा श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। कामदा एकादशी सभी परेशानियों को दूर करने वाली और सुखों में वृद्धि करने वाली मानी गई है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है।
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