गन्‍ने की क‍िसानी से काश्‍तकार होंगे मालामाल, व‍िभाग किसानों को जैविक खाद तैयार करने का देगा प्रशिक्षण

उत्तराखंड गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र ने किसानों को गन्ने की जैविक खेती का प्रशिक्षण देने की तैयारी कर दी है। कृषि विज्ञानी यह प्रशिक्षण प्रदेश में हर चीनी मिल क्षेत्र के जैविक खेती के प्रति रुचि रखने वालों को देंगे।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 06:08 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 06:08 AM (IST)
गन्‍ने की क‍िसानी से काश्‍तकार होंगे मालामाल, व‍िभाग किसानों को जैविक खाद तैयार करने का देगा प्रशिक्षण
कचरे से खाद बनने पर बीमारियों में कमी आएगी।

खेमराज वर्मा, काशीपुर। महालक्ष्मी (समृद्धि) के पूजन में गन्ने का विशेष महत्व है। प्रदेश में गन्ने को किसानों की समृद्धि (दोगुनी आय) का केंद्र बनाने के लिए सरकार विशेष प्रयास करने जा रही है। समृद्धि की इस खाद से किसानों की सुख-संपत्ति में श्रीवृद्धि तय है।

यह समृद्धि जैविक गन्ने की खेती में छिपी है। उत्तराखंड गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग तथा उत्तराखंड गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र इन दिनों इसे साकार करने की दिशा में जुटा है। उत्तराखंड गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र ने किसानों को गन्ने की जैविक खेती का प्रशिक्षण देने की तैयारी कर दी है। कृषि विज्ञानी यह प्रशिक्षण प्रदेश में हर चीनी मिल क्षेत्र के जैविक खेती के प्रति रुचि रखने वालों को देंगे। प्रशिक्षण केंद्र ने इसके लिए किसानों का वाट््सएप ग्रुप भी बनाया है, जिस पर जैव गन्ना उत्पादन के संबंध में जानकारी दी जाएगी। इससे किसान खुद जैविक खाद तैयार कर गन्ने की अच्छी फसल उपजा सकेंगे। उत्तराखंड गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र के संयुक्त निदेशक नीलेश कुमार की अगुआई में जल्द प्रशिक्षण शुरू होगा। संयुक्त निदेशक ने बताया कि प्रदेश में पंजीकृत लगभग दो लाख गन्ना किसानों को इसका फायदा मिलेगा। इन किसानों को बीजामृत, जीवामृत, कुदरती खाद एवं जैव कीटनाशक तैयार करने के साथ ही खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। 

किसानों की होगी बचत 

जैविक खेती करने पर किसान यूरिया, डाई, पोटास व अन्य रासायनिक खाद खरीदने से बचेंगे। इससे गन्ने की बोवाई की लागत में कमी आएगी और बेहतर फसल से किसानों की आॢथक स्थिति भी सुधरेगी। 

जैविक खेती से लाभ

जैविक खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता व ङ्क्षसचाई अंतराल में वृद्धि होगी। फसलों की उत्पादकता में भी इजाफा होगा। किसानों को बेहतर गन्ना मूल्य मिलेगा। 

पर्यावरण के अनुकूल

कचरे से खाद बनने पर बीमारियों में कमी आएगी। किसान धान की पराली से भी जैविक खाद तैयार करेंगे, जिससे उसे जलाया नहीं जाएगा। इससे पर्यावरण अनुकूल रहेगा। 

जैविक खाद तैयार करने की विधि

संयुक्त निदेशक नीलेश कुमार ने बताया कि देसी गाय का गोबर 10 किग्रा, देसी गाय का मूत्र पांच लीटर, गुड़ व बेसन दो-दो किग्रा, बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी 200 ग्राम और पानी 180 लीटर मिलाकर सीमेंट के बर्तन में 48 घंटे तक रखने से जैव कीटनाशक तैयार हो जाता है। यह खाद कई कीड़ों को नष्ट करने में सक्षम है। 

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