अल्मोड़ा में गुलदार को ट्रैंकुलाइज करने के लिए जंगल के अनुभवी सदस्य बुलाए गए
अल्मोड़ा जिले में मासूम को शिकार बनाने वाले गुलदार के पैंतरा बदल देने से चुनौती बढ़ गई है। उस पर नजर रखने के लिए अब रानीखेत वन प्रभाग व सिविल सोयम के अनुभवी सदस्यों को जिम्मा सौंप दिया गया है।
अल्मोड़ा, जेएनएन : अल्मोड़ा जिले में मासूम को शिकार बनाने वाले गुलदार के पैंतरा बदल देने से चुनौती बढ़ गई है। उस पर नजर रखने के लिए अब रानीखेत वन प्रभाग व सिविल सोयम के अनुभवी सदस्यों को जिम्मा सौंप दिया गया है। अब विभाग के चार गश्ती दल एक गुलदार की टोह लेने में जुट गई हैं। इधर वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से ट्रैंकुलाइज करने की अनुमति मिलने के बाद विभाग ने देहरादून से एक शूटर बुलवा लिया है। फिलहाल वह विभागीय गश्ती दल के साथ स्थानीय भूगोल, लेपर्ड कॉरिडोर, गुलदार की प्रवृत्ति व गतिविधियों का अध्ययन करेगा। ताकि जरूरत पड़ने पर त्वरित व सटीक कदम उठाया जा सके।
नगर पंचायत के गांधीनगर वार्ड के बाड़ीकोट कस्बे में बीती शनिवार शाम गुलदार सात वर्षीय बच्ची को उठा ले गया था। घेराबंदी बढ़ने पर गुलदार उसे घटनास्थल से 15 फीट की दूरी पर घनी झाड़ियों में छोड़ गया था। इधर पिछले 72 घंटों से गुलदार पिंजड़े में कैद होना तो दूर घटनास्थल के आसपास मंडराया ही नहीं। इस पर डीएफओ महातिम सिंह यादव की सिफारिश पर वन्यजीव प्रतिपालक ने उसे ट्रैंकुलाइज करने की अनुमति दे दी है। सूत्रों के मुताबिक इसमें भी गुलदार बच निकला तो फिर उसे मजबूरन ढेर किया जाएगा। गुलदार की गतिविधियों पर नजर के लिए अब देहरादून के शूटर जाहिद बख्शी बाड़ीकोट पहुंच गए हैं।
अब तक आठ आदमखोर गुलदार ढेर
शूटर जाहिद बख्शी का दल अब तक एफआरआइ देहरादून, हरिद्वार, लैंसडौन, प्रतापगढ़ (नई टिहरी) आदि में आठ नरभक्षी गुलदारों को ढेर कर चुके हैं। बख्शी ने पांच वर्ष पूर्व 2015 से इस पेशे में सक्रिय हैं।
टकराव से बचने को हमें ही बदलना होगा रास्ता
बख्शी के अनुसार चरम पर पहुंच चुके मानव गुलदार संघर्ष से बचने के लिए हमें ही पहल करनी होगी। गुलदार गांवों में वर्षों से रह रहे हैं। सदियों से गांवों से नाता रहा है। ऐसा नहीं है कि गुलदार रोज ही हमला कर रहे। कुछ खास कारण होते हैं नरभक्षी होने के। मसलन, जख्मी हो गया हो, बुढ़ा जाने से शिकार में अक्षम या अचानक आमना सामना होने पर आत्मसुरक्षा में हमला कर देने से। शूटर बख्शी कहते हैं, कुछ भी हो ग्रामीणों को ही सतर्क रहना होगा। झुंड में घास काटने निकलें। एक चौकीदारी कर ले। वन्यजीवों के साथ रहने की आदत बनानी होगी। खुद पर नियंत्रण रखना ही होगा। बचने की कोशिश तो हमें ही करनी होगी। जानवर भी खुद को सुरक्षित महसूस करेगा। गुलदारों की मांद में अनावश्यक हस्तक्षेप बंद करना होगा।