जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने को लेकर पर्यावरणविदों ने किया मंथन

जलवायु परिवर्तन से सामने आ रही चुनौती से पार पाने को लेकर चिनार और ग्लोबल फाउंडेशन की ओर से रविवार को वेब संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 02:40 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 02:40 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने को लेकर पर्यावरणविदों ने किया मंथन
जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने को लेकर पर्यावरणविदों ने किया मंथन

नैनीताल, जेएनएन : जलवायु परिवर्तन से सामने आ रही चुनौती से पार पाने को लेकर चिनार और ग्लोबल फाउंडेशन की ओर से रविवार को वेब संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहरी परिपेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन से पार पाने को लेकर पामंथन किया गया। इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो मोनोवर आलम खालिद ने कहा कि बदलती जलवायु वास्तव में बहुत सारे अवसर पैदा कर रही है। उन्होंने स्मार्ट शहरों की संरचना में पर्यावरण समाधान को एकीकृत करने के लिए महत्वपूर्ण बताया। कहा कि प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान स्थानीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन का कार्य करने में भी मदद करती है।

यूएनडीपी इंडिया में प्रोजेक्ट ऑफिसर मनीषा चौधरी ने राष्ट्रीय जैव विविधता एक्शन प्लान को लेकर यूएनडीपी भारत सरकार के साथ कैसे काम कर रही है, इसके बारे में बताया। पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल गोर द्वारा स्थापित द क्लाइमेट रियलिटी प्रोजेक्ट इंडिया के कंट्री मैनेजर आदित्य पुंडीर ने जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही चरम मौसमी घटनाओं जैसी गंभीर चुनौतियों के बारे में बताया। इन समस्याओं के समाधान के रूप में, उन्होंने वनीकरण, पुनर्स्थापित जल निकायों, सुनियोजित कृषि जैसे ऊष्मा उत्सर्जन नियंत्रण उपायों पर जोर दिया।

उन्होंने सलाह दी, हमें ऐसे संकटों को दूर करने के लिए विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्य और मूल्यांकन करना होगा! उन्होंने कहा कि यह अनुमान है कि कोरोना महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर लगभग 10% जीडीपी नुकसान हुआ है, और अगर हम पर्याप्त प्रकृति आधारित सुरक्षा उपाय नहीं करते हैं, तो भविष्य मे यह स्थिति और भी जटिल हो सकती है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण निकट भविष्य में भी इस तरह के महामारी जैसे संकटों की आशंका है। सत्र को पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ प्रणब जे पातर और डॉ। प्रदीप मेहता द्वारा संचालित एक किया गया था। जिसमें 109 विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया।

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