प्लास्टिक के धागे से पर्यावरण संरक्षण, कपड़ा बनने के साथ हो रहा कचरे का निस्तारण

पैक प्लास्टिक से सिडकुल की सेक्टर दो स्थित गणेशा ईको स्पेयर कंपनी रुई और धागा तैयार कर एक पंथ और दो काज वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। टेक्सटाइल कंपनियां इन धागों से कपड़े बना रही हैं। इनकी डिमांड भी अधिक है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 07:21 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 07:21 PM (IST)
प्लास्टिक के धागे से पर्यावरण संरक्षण, कपड़ा बनने के साथ हो रहा कचरे का निस्तारण
कंपनी देश ही नहीं विदेश से भी पैक प्लास्टिक एकत्र कर रही है।

वीरेंद्र भंडारी, रुद्रपुर : पर्यावरण को दूषित कर रहा प्लास्टिक कचरे का बढ़ता अंबार मानवीय सभ्यता के लिए सबसे बड़े संकट के रूप में उभर रहा है। पैक प्लास्टिक से सिडकुल की सेक्टर दो स्थित गणेशा ईको स्पेयर कंपनी रुई और धागा तैयार कर एक पंथ और दो काज वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। टेक्सटाइल कंपनियां इन धागों से कपड़े बना रही हैं। इनकी डिमांड भी अधिक है। कंपनी देश ही नहीं विदेश से भी पैक प्लास्टिक एकत्र कर रही है। 

कंपनी के एचआर हेड दीप चंद्र सती ने बताया कि पानी की प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल कर लोग इधर- उधर फेंक देते हैं। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है। उनकी कंपनी पानी की प्लास्टिक की बोतल को छोटे-छोटे भागों में काटकर उसका फाइबर (रुई) तैयार करती है। इस रुई से धागा तैयार कर कपड़ा बनाने को टैक्सटाइल कंपनियों को दिया जाता है। 

कबाडिय़ों के जरिये कंपनी के डिपो में पहुंच रहा प्लास्टिक

सती ने बताया कि देशभर में कबाड़ी प्लास्टिक की बोतल एकत्र कर कंपनी के डिपो में बेचते हैं। डिपो से पैक प्लास्टिक कंपनी आता है। यहां प्लास्टिक की सफाई कर उसे छोटे- छोटे टुकड़ों में काट फाइबर बनाया जाता है। कई महिला सहायता समूह भी कंपनी को प्लास्टिक की बोतल उपलब्ध कराती हैं।

रोजाना खप रहा 110 मीट्रिक टन प्लास्टिक 

कंपनी रोजाना ही देश भर से आ रहा 110 मीट्रिक टन प्लास्टिक खपा रही है। इससे रोजाना ही 110 टन तक फाइबर बन रहा है। टेक्सटाइल कंपनियां फाइबर (रुई) से कपड़े, टी-शर्ट, शर्ट, बैडशीट, रजिया, परदे के कपड़े और कालीन बना रही हैं।

कचरे से धागा, पर्यावरण सुरक्षा का वादा

पर्यावरण के लिए खतरा बना प्लास्टिक कचरा अब कुशल प्रबंधन के साथ आय का माध्यम भी बन रहा है। खासकर पानी की खाली बोतलें। प्लास्टिक उपलब्ध कराने का काम कंपनी ने महिला समूहों को सौंपा है। इससे महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। 

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