साथी के साथ इंसानों को भी मैसेज करते हैं गजराज, जंगल में किसी हादसे के बाद जुट जाता है पूरा कुनबा

हाथी को जंगल के इंजीनियर के साथ परिवारवाद वाला वन्यजीव भी माना जाता है। इसे भावनात्मक लगाव ही कहेंगे कि जंगल में किसी हादसे के बाद मौके पर पूरा कुनबा जुट जाता है। आक्रोशित हाथियों को दूर करना तब वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 10:26 AM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 10:26 AM (IST)
साथी के साथ इंसानों को भी मैसेज करते हैं गजराज, जंगल में किसी हादसे के बाद जुट जाता है पूरा कुनबा
साथी के साथ इंसानों को भी मैसेज करते हैं गजराज, जंगल में हादसे के बाद जुट जाता है पूरा कुनबा

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : हाथी को जंगल के इंजीनियर के साथ परिवारवाद वाला वन्यजीव भी माना जाता है। इसे भावनात्मक लगाव ही कहेंगे कि जंगल में किसी हादसे के बाद मौके पर पूरा कुनबा जुट जाता है। आक्रोशित हाथियों को दूर करना तब वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। बुधवार को पीपलपड़ाव रेंज के जंगल में रेलवे ट्रैक पर हुए हादसे के बाद भी यही हुआ। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो कुनबे संग चल रहा हाथी बीच-बीच में साथियों के अलावा अचानक दिखने वाले इंसानों को भी संदेश देता है। जंगल से वाकिफ होने के कारण वनकर्मियों के लिए इन मैसेज को समझना आसान होता है, मगर आम लोग अंदाजा लगाने में चूक जाते हैं।

वन विभाग के मुताबिक जंगल में हाथी एकमात्र ऐसा जानवर होता है जो तीन पीढ़ी तक एक रास्ते को पहचानता है। झुंड में चलने के दौरान लीडर हाथी कभी आगे तो कभी पीछे रहकर सभी पर नजर रखता है। इसके अलावा पुराने रास्ते में अतिक्रमण या अन्य किसी रुकावट का आभास करने की क्षमता भी उसमें होती है। उस स्थिति में कभी वह आबादी में आ जाता है तो कभी रास्ता बदलता है। हालांकि भोजन-पानी और बेहतर ठिकाने की चाह में अक्सर झुंड में संख्या कम और ज्यादा भी हो जाती है।

ऐसे देते हैं संदेश

एसडीओ अल्मोड़ा गणेश चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक हाथी जंगल में किसी रास्ते पर चलने के दौरान सूंड और पैरों को तेजी से जमीन पर रख कंपन पैदा करता है। इसके अलावा चिंघाड़ और पत्तों से भरी टहनी को तोड़कर भी मैसेज पास करता है। बाघ भी अकेला चलते हुए अगर सामने से किसी अन्य जानवर को देख ले तो हल्की दहाड़ के साथ रास्ता छोडऩे का संदेश देता है। सामने किसी इंसान को देखने पर भी हाथी यहीं तरीका अपनाते हैं।

हड्डियों तक की परिक्रमा

एसडीओ गणेश त्रिपाठी के मुताबिक कई बार जंगल में यह देखने को मिला कि अगर किसी झुंड को रास्ते पर किसी मृत हाथी की हड्डी नजर आए तो उसे देखकर वह कभी उसके झुंड में होने का अंदाजा लगा लेते हैं। यही चीज बंदरों में देखने को भी मिलती है। उसके बाद काफी देर तक मृत शरीर के अवशेषों के आसपास चक्कर लगाने लगते हैं।

पहले की घटनाएं

1-जब खेत में पहुंच गए:पिछले साल हल्दूचौड़ के एक खेत में पहुंचे हाथी की करंट लगने से मौत हो गई थी। घटना के अगले दिन अन्य हाथी जंगल से मौके पर पहुंच गए थे। जिसके बाद वन विभाग भी चौकस हो गया। गुस्साए हाथी बड़ी मुश्किल से वापस लौटे थे।

2-हवाई फायर कर लौटाना पड़ा: जून 2018 में हरिद्वार-दून ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आकर मादा हाथी की मौत हो गई थी। घटना के कुछ देर में ही मौके पर हाथियों का झुंड पहुंच गया। जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने हवाई फायङ्क्षरग कर हाथियों को दूर भगाया।

हाथी जंगल में सबसे समझदार

डीएफओ सिविल सोयम नवीन पंत बताते हैं कि हाथी को जंगल में सबसे समझदार माना जाता है। परिवारवाद होने के कारण इनमें काफी गहरा भावनात्मक लगाव होता है। अलग-अलग तरीके से वह आपस में संवाद करने के साथ इंसानों को भी अलर्ट करते हैं।

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