Tiger Corridor Survey : मैदान से पहाड़ तक बाघ के रास्तों का पता लगाएंगी आठ लाख तस्वीरें, जानिए कैसे
Tiger Corridor Survey कॉरीडोर सर्वे प्रोजेक्ट के तहत यह फोटो जुटाई गई हैं। एक्सपर्ट टीम को इनके परीक्षण में करीब छह माह का समय लग सकता है। उसके बाद साफ हो जाएगा कि मैदान से पहाड़ जाने के लिए बाघ ने किन रास्तों को चुना।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी। Tiger Corridor Survey : पिथौरागढ़ के अस्कोट में पांच साल पहले टाइगर दिखा था। नैनीताल जिले के पहाड़ी ब्लॉक बेतालघाट से भी बाघ का रेस्क्यू किया जा चुका है। यानी पहाड़ पर जंगल के राजा की उपस्थिति लगातार प्रमाणित हुई। ऐसे में वन विभाग तथ्यात्मक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए करीब आठ लाख फोटो को खंगालने में जुटा है। साल 2018 में नेशनल मिशन ऑफ हिमालयन स्टडीज संग शुरू किए गए कॉरीडोर सर्वे प्रोजेक्ट के तहत यह फोटो जुटाई गई हैं। एक्सपर्ट टीम को इनके परीक्षण में करीब छह माह का समय लग सकता है। उसके बाद साफ हो जाएगा कि मैदान से पहाड़ जाने के लिए बाघ ने किन रास्तों को चुना। और इस रहस्य से भी पर्दा हटेगा कि बाघ कार्बेट पार्क से निकले या फिर नंधौर सेंचुरी के जंगल से।
उत्तराखंड में कुमाऊं के अलावा गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में भी बाघ नजर आ चुका है। पहले माना जाता था कि सबसे ज्यादा हाइट पर अस्कोट में बाघ दिखा। लेकिन दो साल पहले केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी के मदमहेश्वर तक में यह कैमरा में नजर आ गया था। वहीं, 2018 में वन विभाग ने हिमालयन स्टडीज संग कॉरीडोर का सर्वे शुरू किया था। इसके तहत कुमाऊं में अलग-अलग कॉरीडोर व संभावित रास्तों पर 300 से ज्यादा सेंसर युक्त कैमरे फिट गए। साउथ पाटी दून-चिल्किया, चिल्किया- कोटा, ढिकुली-गॢजया, मलानी- कोटा, फतेहपुर-गदगदिया, नखाताल-नेपाल आदि कॉरीडोर इसमें शामिल थे। इन कैमरों से कुल आठ लाख फोटो मिली है। जिसमें बाघ, गुलदार, हाथी, हिरण आदि के अलावा इंसान भी नजर आए। अब सबसे ज्यादा मुश्किल काम इनका परीक्षण करना है। उसके बाद ही प्रमाणित रिपोर्ट सामने आएगी।
अनुमान के मुताबिक यह रास्ते
चम्पावत के जंगल में बूम के पास और मोहान, कुनखेत होते हुए बेतालघाट और फिर अल्मोड़ा डिवीजन में बाघ के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके अलावा नैनीताल में बौर वैली से बाघ देचौरी रेंज का जंगल पार कर पगंूट तक पहुंचने की संभावना है।
कॉरीडोर की स्थिति और वन्यजीव संघर्ष पर फोकस
बाघ के रास्तों के अलावा इस पर भी फोकस किया गया है कि बाघ के कॉरीेडोर बंद होने पर क्या वह हाथी की तरह आबादी में आक्रामक तो नहीं हो रहा। इसके लिए कॉरीडोर के आसपास सटे क्षेत्र में बीते कुछ सालों में बाघ के हमलों का आंकलन भी किया जाएगा। सर्वे में तराई पश्चिमी, तराई पूर्वी, हल्द्वानी, नैनीताल डिवीजन, चम्पापत और पिथौरागढ़ वन प्रभाग शामिल है। यह डिवीजनें पहाड़, कार्बेट, नंधौर सेंचुरी और नेपाल तक से सटी हुई है। और सभी मुख्य कॉरीडोर भी इन्हीं में आते हैं।
सीसीएफ इको टूरिज्म व प्रोजेक्ट इन्वेस्टीगेटर डा. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि 2018 से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। लाखों की संख्या में फोटो मिली है। अब इनका परीक्षण किया जाएगा। उम्मीद है कि छह माह से पहले निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे।
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