कोसी से नुकसान रोकने को कवायद तेज, सर्वे को जुटी टीम, खतरे वाले स्थानों को चिह्नित कर तैयार होगी रिपोर्ट

कोसी नदी के वेग से होने वाले नुकसान तथा उन स्थानो को चिन्हित करने के लिए सिंचाई विभाग के बहादराबाद (हरिद्वार) स्थित मुख्यालय के निर्देश पर रीजेंटेक प्राइवेट लिमिटेड की चार टीमों ने कौसानी सोमेश्वर कोसी क्वारब सुयालबाडी़ खैरना भुजान बेतालघाट रामनगर काशीपुर तक डिजिटल सर्वे शुरू कर दिया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 04:41 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 04:41 PM (IST)
कोसी से नुकसान रोकने को कवायद तेज, सर्वे को जुटी टीम, खतरे वाले स्थानों को चिह्नित कर तैयार होगी रिपोर्ट
टीम दो सौ किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल में अलग-अलग स्थानों पर सर्वे में जुटी है।

जागरण संवाददाता, गरमपानी : कोसी नदी के उद्गम स्थल से काशीपुर क्षेत्र तक बरसात में होने वाले नुकसान का पता लगाने के लिए सर्वे शुरू हो गई है। चार टीमें डिजिटल टोपोग्राफी के जरिए सर्वे में जुटे हैं। सर्वे की रिपोर्ट सिंचाई विभाग के बहादराबाद (हरिद्वार) स्थित मुख्यालय को भेजी जाएगी। टीम दो सौ किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल में अलग-अलग स्थानों पर सर्वे में जुटी है।

बरसात के मौसम में कोसी नदी का तेज वेग खूब तबाही मचाता है। वर्ष 1993 व 2010 में कोसी नदी से मची तबाही को लोग आज तक भूले नहीं है। कोसी नदी के वेग से होने वाले नुकसान तथा उन स्थानो को चिन्हित करने के लिए सिंचाई विभाग के बहादराबाद (हरिद्वार) स्थित मुख्यालय के निर्देश पर रीजेंटेक प्राइवेट लिमिटेड की चार टीमों ने कौसानी, सोमेश्वर, कोसी, क्वारब, सुयालबाडी़, खैरना, भुजान, बेतालघाट, रामनगर काशीपुर तक डिजिटल टोपोग्राफी का सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे टीम में शामिल सीनियर सर्वेयर अनिल रावत के अनुसार कोसी नदी का वेग बढ़ने के बाद जिन स्थानो पर नुकसान होता है उसी का टोपोग्राफी सर्वे करने के बाद रिपोर्ट सिंचाई विभाग के मुख्यालय भेजी जाएगी। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही कोसी नदी में बाढ़ नियंत्रण के कार्य को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। मंगलवार को टीम ने भुजान, बेतालघाट, रामनगर आदि क्षेत्रों में सर्वे की। इस दौरान टीम के विजय साह, लोकेश राणा, नरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

ये है सर्वे का मुख्य उद्देश्य

सिंचाई विभाग के बहादराबाद (हरिद्वार) स्थित मुख्यालय के निर्देश पर हो रहे सर्वे का मुख्य उद्देश्य बाढ़ से हो रहे नुकसान को चिन्हित कर वहां ठोस कार्य योजना तैयार करना है ताकि नुकसान को टाला जा सके। टीम के फील्ड सुपरवाइजर श्रेयस कोचिकर के अनुसार पिछले सौ वर्षों नदी के वेग व उससे मची तबाही की रिपोर्ट के आधार पर सर्वे की जा रही है। टोपोग्राफी सर्वे के बाद मानचित्र भी तैयार होगा। जिसे सिंचाई विभाग को सौंपा जाएगा। उसके बाद ही संबंधित विभाग खतरे वाले स्थानों पर बाढ़सुरक्षा की कार्य योजना तैयार करेगा।

फील्ड सुपरवाइजर श्रेयस कोचिकर ने बताया कि चार टीमें सर्वे में लगी है। कोसी नदी के उद्गम स्थल से काशीपुर तक सर्वे होना है। टोपोग्राफी सर्वे के बाद मानचित्र तैयार कर रिपोर्ट सिंचाई विभाग के मुख्यालय को सौंपी जाएगी।

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी