Lunar Eclipse 2021 : देश के पूर्वी हिस्सों में रहा उपछाया चंद्रग्रहण का असर
lunar eclipse of 2021 साल का अंतिम आंशिक चंद्रग्रहण शुक्रवार शाम को देश के पूर्वी हिस्सों में देखा जा सका। देश में अगला पूर्ण चंद्रग्रहण सात सितंबर 2025 को देखा जा सकेगा। देश में पैनंबरल यानी उपछाया वाला ग्रहण ही देखा जा सका।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : lunar eclipse of 2021 : साल का अंतिम आंशिक चंद्रग्रहण शुक्रवार शाम को देश के पूर्वी हिस्सों में देखा जा सका। देश में अगला पूर्ण चंद्रग्रहण सात सितंबर 2025 को देखा जा सकेगा। भारतीय तारा भौतिक संस्थान बंगलूरू के सेवानिवृत्त विज्ञानी प्रो. आरसी कपूर के मुताबिक आंशिक चंद्र ग्रहण को दुनिया के कई हिस्सों में देखा गया, जबकि देश में पैनंबरल यानी उपछाया वाला ग्रहण ही देखा जा सका। इस दौरान चंद्रमा की रोशनी में महज 10 फीसद की कमी आई। जिसमें ग्रहण लगने की पहचान कर पाना आसान नही होता। अलबत्ता छाया चित्रों में चंद्रमा की रोशनी में मामूली कमी अंकित होती है। इस बीच अधिकतम ग्रहण के दौरान चंद्रमा का 98 फीसद भाग ग्रहण की चपेट में आया। भले ही यह आंशिक ग्रहण था, लेकिन इतनी लंबी अवधि वाला यह ग्रहण 580 साल बाद लगा।
यह ग्रहण एशिया समेत आस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के अलावा हिंद महासागर व प्रशांत महासागर में देखा जा सका। देश में मणिपुर की राजधानी इंफाल में कुछ मिनट के लिए ही चंद्रग्रहण देखा जा सका। भारतीय समय के अनुसार पूर्वाह्नï 11:32 बजे उपछाया का ग्रहण शुरू हुआ, जबकि छाया वाला ग्रहण दोपहर 12:49 बजे लगा। 2:33 बजे ग्रहण अधिकतम नजर आया। इसके बाद ग्रहण की छाया मुक्त होने लगी। सांय 4:17 बजे चंद्रमा छाया वाले ग्रहण से मुक्त हो गया। शाम 5:34 बजे ग्रहण पूर्ण रूप से समाप्त हो गया।
इधर आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल विज्ञानी डा. शषिभूषण पांडेय के अनुसार चंद्रग्रहण सामान्य खगोलीय घटना होती है। चंद्रमा की अपने पथ पर गति व पृथ्वी से दूरी के लिहाज से ही ग्रहण की अवधि में अंतर आता है। अब दुनिया की कई वेधशालाएं चंद्रमा पर प्रयोगशाला बनाने की तैयारियां कर रही हैं। जिस कारण ऐसे अध्ययनों की महत्ता बढ़ जाती है। ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर नमी की मात्रा व रोशनी में आने वाली कमी के साथ ग्रहण के दौरान चंद्रमा के रंग में आने वाले परिवर्तन की जानकारी मिलती है। अब इसके ठीक 15 दिन बाद सूर्यग्रहण लगने जा रहा है, जो अंटार्कटिका से देखा जा सकेगा।