Gamma-Ray Burst : मरणासन्न तारे भी कर सकते हैंं गामा-रे विस्फोट, एरीज विज्ञानी ने नापी खगोलीय विस्फोट की दूरी

Gamma-Ray Burst मरणासन्न तारे भी छोटी अवधि का गामा-रे विस्फोट कर सकते हैं। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने विस्फोट वाले स्थान की दूरी मापन का महत्वपूर्ण कार्य किया है। विज्ञानियों ने इसे जीआरबी 200826ए नाम दिया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:10 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 07:39 AM (IST)
Gamma-Ray Burst : मरणासन्न तारे भी कर सकते हैंं गामा-रे विस्फोट, एरीज विज्ञानी ने नापी खगोलीय विस्फोट की दूरी
विस्फोट की दूरी जानने के लिए उन्होंने स्पेन की कैनरी द्वीप समूह स्थित 10.4 मीटर ऑप्टिकल दूरबीन का प्रयोग किया।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : Gamma-Ray Burst : नासा ने हाल में ही एक विशिष्ट प्रकार के उच्च उर्जा विस्फोट की खोज की है। यह खगोलीय विस्फोट अब तक देखे गए बेहद ऊर्जावान छोटी अवधि का गामा-रे विस्फोट है। इससे पता चलता है कि मरणासन्न तारे भी छोटी अवधि का गामा-रे विस्फोट कर सकते हैं। इस खोज में आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने विस्फोट वाले स्थान की दूरी मापन का महत्वपूर्ण कार्य किया है। विज्ञानियों ने इसे जीआरबी 200826ए नाम दिया है।

विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि इस विस्फोट की खोज 26 अगस्त 2020 में नासा ने फर्मी गामा रे स्पेस टेलीस्कोप से की थी। इसके बाद इसकी सत्यता की पुष्टि के लिए विज्ञानियों ने अध्ययन शुरू किया। यह विस्फोट ब्रह्मांड के सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है। इसे नासा के विंड व मार्श मिशन ने भी ऑब्जर्व किया। इस विस्फोट से निकलने वाला जेट यानी आवाज व प्रकाश समूह ब्रह्मांड की आधी आयु से पृथ्वी की ओर आ रहा था। इसके आने की अवधि गामा किरणों में करीब एक सेकेंड रही थी। जिसे लेकर माना गया कि यह अभी तक का सबसे छोटे ज्ञात विस्फोटो में से एक है। इसी कारण इस खोज ने गामा किरणों के विस्फोट यानी जीआरबी का पता लगाने में एक कीर्तिमान स्थापित किया है।

डा. शशिभूषण ने बताया कि विस्फोट हुए स्थान की दूरी जानने के लिए उन्होंने स्पेन की कैनरी द्वीप समूह स्थित 10.4 मीटर ऑप्टिकल दूरबीन का प्रयोग किया। अध्ययन से पता चला कि एक तरह से यह असफल विस्फोट था। इसके बावजूद यह हमारी आकाशगंगा की उर्जा से 1.4 करोड़ गुना अधिक थी। इस खोज से यह भी पता चला है कि संकुचित तारे से उत्सर्जित होने वाली छोटी अवधि की जीआरबी बहुत ही कम होते होंगे। यही नहीं, ज्यादातर विशालकाय तारों का अंत जेट व जीआरबी उत्पन्न किए बिना ही हो जाता है। लिहाजा जीआरबी की अधिक मात्रा इसके मूल स्रोत की जानकारी नही दे सकती। खोजकर्ता विज्ञानियों का कहना है यह खोज भूसे के ढेर से सुई खोजने जैसी है। जो ब्रह्मांड में होने वाले महाविस्फोटों को समझने में नए आयाम जोड़ेगी।

सौरमंडल का विनाश करने की ताकत रखती हैं ये शक्ति

सुपरनोवा व जीआरबी ब्रह्मांड के वह विस्फोट हैं जो तारों के अंत समय में ब्लैक होल को जन्म दे सकते हैं। ऐसे विस्फोट जेट जैसी महा ऊर्जावान स्थिति का निर्माण करते हैं। जो अपने सामने वाले तारों व ग्रहों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। यदि ऐसा कोई विस्फोट हमसे नजदीक या हमारी आकाशगंगा में होगा तो वह पृथ्वी समेत हमारे सौरमंडल का विनाश कर जाएगा। पांच सौ प्रकाश वर्ष की दूरी पर होने वाला विस्फोट भी हमारे सेटेलाइट व संचार व्यवस्था को बाधित कर सकता है। महाविस्फोट करने वाले तारे सूर्य से कई गुना बड़े होते हैं।

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