पर्यटकों के न आने से चिड़ियाघर के जीवों के व्यवहार में आया अंतर, जंगल सा जीवन जी रहे टाइगर व भालू

डिप्टी रेंजर दीपक तिवारी कहते हैं वाकई बाघ व लेपर्ड के व्यवहार में इन दिनों बदलाव देखने को मिल रहा है। वह शांत हैं। उनका चिड़चिड़ापन गायब है। जब मन आये स्वच्छंद होकर बाड़े में विचरण कर रह रहे या आराम से धूप सेंक रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 05:14 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 05:14 PM (IST)
पर्यटकों के न आने से चिड़ियाघर के जीवों के व्यवहार में आया अंतर, जंगल सा जीवन जी रहे टाइगर व भालू
भालू के साथ अन्य जानवरों के व्यवहार में तब्दीली दिख रही है। वह शांत और जंगल सा जी रहे हैं।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। कोरोना काल में संक्रमण के खतरे को देखते हुए नैनीताल चिड़ियाघर को पहली मई से बंद कर दिया। पर्यटकों समेत अन्य की आवाजाही बंद होने से भले ही चिड़ियाघर की आय ठप हो गई हो मगर वन्य जीवों के लिए स्वच्छंद जीवन जीने का अवसर मिल गया है। खासकर  बाघ, लैपर्ड व हिमालयन भालू इन दिनों स्वच्छंद होकर बाड़े में विचरण कर रहे हैं।

नैनीताल चिड़ियाघर में तीन बंगाल टाइगर, सात लैपर्ड, चार हिमालयन भालू हैं। अक्सर पर्यटकों की ओर से बाघ, भालू व लैपर्ड के बाड़े के पास से फोटोग्राफी के साथ ही उसे समीप बुलाने के लिए आवाज देने के साथ ही  हाथ से इशारे किये जाते हैं। बाड़े में विचरण करते समय भीड़ का रवैया बाघ, गुलदार को पसंद नहीं आता।  अक्सर गुस्से से बाघ घूरने लगता तो कभी दहाड़ने लगता। यहां तक कि उसे अपने आवास पर छिपना पड़ता था।  यही हाल हिमालयन भालू का होता था। आम तौर पर भालू शांत रहता है मगर भीड़ के चिढ़ाने पर गुफा में छिप जाता था। अब पर्यटकों की आवाजाही बंद होने के बाद यह जंगल सा प्राकृतिक जीवन जी रहे हैं।

डिप्टी रेंजर दीपक तिवारी कहते हैं, वाकई बाघ व लेपर्ड के व्यवहार में इन दिनों बदलाव देखने को मिल रहा है। वह शांत हैं। उनका चिड़चिड़ापन गायब है। जब मन आये स्वच्छंद होकर बाड़े में विचरण कर रह रहे, या आराम से धूप सेंक रहे हैं। भोजन शाम को चार बजे दिया जाता है तो वह इंतजार करता है।

हिमालयन भालू भी बाड़े में धूप सेंकने के साथ ही कलाबाजी दिखा रहे हैं। यह उनके प्राकृतिक जीवन जीने का हिस्सा है। जानवरों का बदला व्यवहार वाकई हैरत में डाल रहा है। वह क्षेत्राधिकारी अजय रावत के अनुसार बाघ, भालू के साथ अन्य जानवरों के व्यवहार में खासी तब्दीली दिख रही है। वह शांत हैं और जंगल सा जी रहे हैं।

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