गौलापार में गुलदार के खौफ ने बंद कराई सुबह-शाम की सैर

रानीबाग व सोनकोट के बाद अब गौलापार भ्भी गुलदार की दहाड़ से दहशत में आ गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 04:04 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:09 AM (IST)
गौलापार में गुलदार के खौफ ने बंद कराई सुबह-शाम की सैर
गौलापार में गुलदार के खौफ ने बंद कराई सुबह-शाम की सैर

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: रानीबाग व सोनकोट के बाद अब गौलापार भी गुलदार की दहाड़ से दहशत में आ चुका है। लोगों ने सुबह और शाम की सैर करनी छोड़ दी है। तीन दिन पहले सर्किट हाउस के पास गुलदार ने बाइक, स्कूटी के बाद कार पर भी झपट्टा मारा था। जिसके बाद वन विभाग ने उसकी लोकेशन ट्रेस करने का प्रयास किया, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। वहीं, देवलचौड़ के लोग अब भी गुलदार के आतंक से परेशान है। कैद करने को लगाए दो पिंजड़ों से उसने दूरी बना रखी है।

23 जून को गुलदार ने रानीबाग ग्रामसभा के तहत आने वाले सोनकोट में घास लेने जंगल जा रही बुजुर्ग महिला को मार दिया था। अगले दिन गुलदार शीशमहल की तरफ मूवमेंट करता दिखा। अब पिछले दस दिन से देवलचौड़ स्थित पालम सिटी व मानपुर पश्चिम गांव में भी गुलदार लोगों को डरा रहा है। वहीं, गौलापार स्थित खेड़ा गांव के पूर्व बीडीसी मेंबर अर्जुन बिष्ट ने बताया कि बीते शुक्रवार की शाम छह बजे सर्किट हाउस के पास मुख्य मार्ग पर बाइक व स्कूटी सवार युवक पर एक गुलदार ने हमले का प्रयास किया था। गनीमत रही कि दोनों बच गए। इसके बाद ऑल्टो कार पर भी पंजा मारा। इस दौरान इवनिंग वॉक पर निकली महिलाओं ने दौड़ लगा दी। इधर, गुलदार की दहशत से खेड़ा व आसपास के गांवों के लोग भी डरे हुए हैं। अर्जुन ने बताया कि सभी गांववालों से कह दिया है कि कोई भी सुबह व शाम के वक्त सड़क पर वॉक को न निकले। कैमरे में दिखा गुलदार

सोनकोट गांव में कड़ी मशक्कत के बाद एक गुलदार वन विभाग के कैमरों में कैद हो गया। इससे पूर्व मोर व चीतल नजर आए थे। जिस लोकेशन पर गुलदार दिखा है वहां ट्रेप कैमरों की संख्या और बढ़ाई गई है। लोगों को सतर्क करने के लिए रोज वन विभाग की टीम पहुंच रही है। लापरवाही जान पर भारी पड़ेगी

सोनकोट के जंगल में महिला की मौत के बाद वन विभाग मुनादी व अन्य तरीकों से लोगों से अपील कर रहा है कि जंगल मत जाएं। पिंजड़े के साथ कैमरे भी लगे हैं। फॉरेस्ट के कैमरों में गुलदार, जंगली सूअर, सेही के अलावा ग्रामीण भी लगातार कैद हो रहे हैं। घास और लकड़ी लेने के लिए लोग जंगल की तरफ अब भी मूवमेंट कर रहे हैं। जबकि गुलदार का आतंक कम नहीं हुआ है। ऐसे में छोटी सी लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है।

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