दिल्ली में गौलापार की युवती की दहेज हत्या, शादी को हुए थे सिर्फ दो माह, ससुराली गिरफ्तार

युवती की शादी के दूसरे माह में ही दिल्ली में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मायके पक्ष के दिल्ली पहुंच दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराने पर पति समेत ससुराल पक्ष के चार लोगों को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 07:33 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 07:33 AM (IST)
दिल्ली में गौलापार की युवती की दहेज हत्या, शादी को हुए थे सिर्फ दो माह, ससुराली गिरफ्तार
गिरफ्तारी के दौरान आरोपित पति के पास से जेवर व नगदी भी बरामद हुई।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गौलापार निवासी एक युवती की शादी के दूसरे माह में ही दिल्ली में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका के शरीर पर अधिकांश जगहों पर पर चोट के गंभीर निशान थे। मायके पक्ष के दिल्ली पहुंच दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराने पर पति समेत ससुराल पक्ष के चार लोगों को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के दौरान आरोपित पति के पास से जेवर व नगदी भी बरामद हुई।

गौलापार के लक्षमपुर तारानवाड़ निवासी काश्तकार हीरा सिंह रौतेला ने इस साल 26 अप्रैल को दिल्ली के फतहेपुर बेरी निवासी कुलदीप राणा के साथ बेटी भारती का विवाह किया था। ससुराल पहुंचने के बाद से भारती का उत्पीडऩ शुरू हो गया। लेकिन डर की वजह से उसने स्वजनों को कुछ बताया नहीं। नौ जून को दामाद बेटा को लेकर गौलापार पहुंचा था। जहां से 16 जून की सुबह कार से भारती संग दिल्ली को निकल गया। पिता हीरा सिंह ने बताया कि 17 जून की सुबह दिल्ली में रहने वाले साले ने उन्हें बताया कि भारती की मौत हो गई। जिसके बाद लक्षमपुर की ग्राम प्रधान के पति प्रकाश पांडे पहले स्वजनों संग चोरगलिया थाने पहुंचे। जहां पुलिस ने स्थानीय पुलिस को सूचना देने के साथ मुकदमा दर्ज कराने को कहा। जिसके बाद दिल्ली में ही मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

स्वजनों के मुताबिक मामले में कुलदीप, उसके पिता, मां व भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है। दहेज की सामाजिक बुराई अभी भी समाज को खोखला किए जा रही है। अशिक्षित ही नहीं शिक्षत लोग इस बुराई में शामिल है। गौलापार की युवती की दो माह ही हुए थे शादी के और दहेज लोभियों ने उसे मार दिया। समाज की यह बुराई जब तक एक आंदोलन नहीं बनेगी। सभी मिलकर इसके खिलाफ नहीं खड़े होंगे। तब तक यह खत्म नहीं होगी। इसे कानून बनाकर खत्म नही किया जा सकता, जब तक जनजगारूकता नहीं आएगी।

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