लॉकडाउन खत्म होने पर भी बच्चों को बाहर न ले जाएं, जानिए क्या कहती हैं बाल रोग विशेषज्ञ डा. ऋतु रखोलिया
कोरोना की दूसरी लहर में बच्चे भी कोरोना से प्रभावित हुए लेकिन बच्चों में गंभीर लक्षण नहीं दिखे। तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। अभी बच्चों के लिए वैक्सीन भी नहीं आई है।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : कोरोना की दूसरी लहर में बच्चे भी कोरोना से प्रभावित हुए, लेकिन बच्चों में गंभीर लक्षण नहीं दिखे। तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। अभी बच्चों के लिए वैक्सीन भी नहीं आई है। ऐसे में लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी बच्चों को बाहर न जाने दें। खेल मैदान व अन्य बाहर के आयोजनों से दूर रखें।
सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज की बाल रोग विशेष डा. ऋतु रखोलिया ने बताया कि अगर तीसरी लहर नहीं भी आती है, तो भी अच्छा है। आती है तो सतर्कता पहले से बरतना जरूरी है। ध्यान रखें, बच्चों को बीमारी को लेकर न डराएं। इसका असर बच्चों की मानसिक क्षमता पर भी बुरा पड़ता है। बच्चे उदास रहने लगते हैं। अभिभावक ही पैनिक करने लगेंगे तो बच्चों को कौन समझाएगा। इसलिए सावधानी ही बचाव है।
घर के अंदर ही बच्च्चों को योग, प्राणायाम, व्यायाम आदि के लिए प्रेरित करें। उनके साथ खेलें और उन्हें प्रेरित करने वाली स्टोरी सुनाएं। भोजन में ताजे फल, सब्जियां दें। जंक व फास्ट फूड न दें। मोटापा बढ़ने का खतरा रहता है। मोटापे से कई तरह की बीमारयां होने लगती हैं। घर में किसी बड़े व्यक्ति को कोरोना के लक्षण दिखते हैं तो उसे तुरंत आइसोलेट हो जाना चाहिए। इससे परिवार के अन्य सदस्य कोरोना ग्रस्त होने से बच जाएंगे। ऐसा करने केा लेकर अधिकांश लोग लापरवाही बरत रहे हैं। अगर बच्चों में दो-तीन बुखार आना सामान्य है। अगर बुखार बढ़ रहा है तो डाक्टर से संपर्क करें और जांच करा लें।
अस्पताल से डिस्चार्ज होकर करें व्यायाम
कोरोना महामारी में सबसे अधिक असर फेफड़ों पर पड़ता है। जिन्होंने शुरुआत में लापरवाही की। उनके लिए कोरोना जानलेवा साबित हो गया। जबकि बीमारी के लक्षण दिखते ही शुरुआत में ही जांच कराने के साथ ही इलाज शुरू करा देना चाहिए। अभी भी कोरोना खत्म नहीं हुआ। मामले लगातार रहे हैं। इसलिए खुद को स्वस्थ रखने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। नियमित व्यायाम व योग का अभ्यास जहां व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है, वहीं मानसिक शांति भी मिलती है। होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को गुब्बारे फुलाते रहने चाहिए। स्पायरोमीटर से भी पांच-पांच मिनट दोनों तरफ एक्सरसाइज करनी चाहिए। दीवार के सामने खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को दीवार पर रख लें। गहरी सांस लेकर दीवार की ओर जाएं और सांस छोड़कर दीवार से दूर हो जाएं। नियमित तौर पर पांच-पांच मिनट इस व्यायाम को करना चाहिए।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें