हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं कोसी नदी पार चुकूम के ग्रगीण, अब विस्‍थापन का प्रस्‍ताव भी निरस्‍त

कोसी नदी में हर साल आने वाली बाढ़ से बचने के लिए चुकुम के ग्रामीणों द्वारा उठाई जा रही विस्थापन की मांग को झटका लगा है। विधायक की मानें तो विस्थापन की मांग का प्रस्ताव अब खत्म हो गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 09:05 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 09:05 AM (IST)
हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं कोसी नदी पार चुकूम के ग्रगीण, अब विस्‍थापन का प्रस्‍ताव भी निरस्‍त
हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं कोसी नदी पार चुकूम के ग्रगीण, अब विस्‍थापन का प्रस्‍ताव भी निरस्‍त

रामनगर, जागरण संवाददाता : कोसी नदी में हर साल आने वाली बाढ़ से बचने के लिए चुकुम के ग्रामीणों द्वारा उठाई जा रही विस्थापन की मांग को झटका लगा है। विधायक की मानें तो विस्थापन की मांग का प्रस्ताव अब खत्म हो गया है। ऐसे में अब ग्रामीणों के सामने आंदोलन के अलावा अब कोई रास्‍ता नहीं बचा है।

रामनगर तहसील के अंतर्गत 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला राजस्व गांव चुकूम कोसी नदी के पार बसा है। नदी में बाढ़ आने पर पुल के अभाव में गांव के लोगों का कई दिन तक के लिए संपर्क कट जाता है। वर्ष 1993 में कोसी नदी में भीषण बाढ़ आई थी। जिसमें ग्रामीणों के घर बहे व खेत बह गए थे। खेतों की जमीन रोखड़ बन गई थी। तब ग्रामीणों ने 1993 में विस्थापन की मांग उठाई। उस समय काशीपुर क्षेत्र के आसपास जमीन देने का प्रस्ताव बनाया गया था। लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।

इसके बाद वर्ष 2010 में आई बाढ़ ने गांव में फिर तबाही मचाई। बरसात खत्म होने पर ग्रामीण गांव में ही विस्थापन की मांग के लिए धरने पर बैठ गए। दस साल से ज्यादा समय होने के बाद भी गांव को विस्थापित करने के लिए कोई कार्रवाई होना तो दूर उल्टा विस्थापन का जो प्रस्ताव था उसे ही अब खत्म मान लिया गया। विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि बीते दिनों आपदा प्रबंधन की बैठक हुई थी। जिसमें चुकूम विस्थापन की बात आई थी। विस्थापन के लिए ग्रामीणों की ओर से मना कर दिया गया है।

यह हुआ था ग्रामीणों से समझौता

वर्ष 2010 में विस्थापन की दिशा में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की थी। गांव के सर्वे के बाद तय हुआ कि जिनके नाम पर भूमि है, उन्हें तराई पश्चिमी वन प्रभाग के आमपोखरा में विस्थापित किया जाएगा। जो परिवार गांव में वर्ग चार की भूमि पर काबिज है, उन परिवारों के प्रत्येक बालिग सदस्यों को दस लाख रुपये दिए जाएंगे। लेकिन यह प्रस्ताव अभी अधर में है।

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