चुकूम के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विस्थापन ही सबसे बेहतर उपाय

हर बार बाढ़ में नुकसान झेलने वाले राजस्व गांव चुकूम के विस्थापन की जगह तटबंध व पुल की मांग भी उठने लगी है। कुछ ग्रामीण विस्थापन के बजाय बाढ़ से गांव के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किये जाने की इच्छा जता रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 09:50 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 09:50 AM (IST)
चुकूम के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विस्थापन ही सबसे बेहतर उपाय
चुकूम के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विस्थापन ही सबसे बेहतर उपाय

रामनगर, जागरण संवाददाता : हर बार बाढ़ में नुकसान झेलने वाले राजस्व गांव चुकूम के विस्थापन की जगह तटबंध व पुल की मांग भी उठने लगी है। कुछ ग्रामीण विस्थापन के बजाय बाढ़ से गांव के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किये जाने की इच्छा जता रहे हैं। सुरक्षा इंतजाम में भारी भरकम बजट को देखते हुए विस्थापन ही एकमात्र विकल्प रह गया है।

नगर से करीब 24 किलोमीटर दूर चुकूम गांव काफी पुराना है। कोसी नदी की बाढ़ यहां हर बार कहर बरपाती है। किसी के आशियाने उजड़ते हैं तो किसी के खेत खलिहान बाढ़ की भेंट चढ़ते हैं। वर्ष 1993 में आई बाढ़ के बाद से ही यहां के ग्रामीण गांव के विस्थापन की मांग कर रहे हैं। लेकिन कुछ ग्रामीण ऐसे हैं, जिन्हें गांव से लगाव है। वह गांव से जुड़ी यादों को छोड़कर दूर नहीं जाना चाहते हैं। चुकूम गांव में लगातार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व अधिकारियों संग दौरा कर रहे विधायक दीवान सिंह बिष्ट से कुछ लोगों ने विस्थापन की जगह तटबंध व नदी पर पुल बनाने की मांग की है।

हालांकि पुल व तटबंध बनाने में सरकार का भारी भरकम बजट खर्च होने की उम्मीद है। प्रस्ताव भेज दिया तो भारी भरकम बजट की कमी होने पर यह प्रस्ताव लटक जाएगा। विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने बताया कि ग्रामीणों से साफ कह दिया गया है कि विस्थापन ही गांव का एकमात्र विकल्प है। तटबंध व पुल बनाने में दो सौ करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान है, जो कि संभव नहीं है। उसके बाद भी बाढ़ से नुकसान हो सकता है। दूसरी जगह विस्थापित कराकर ग्रामीणों को वहां सुविधाएं दे दी जाएगी।

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