dhanteras 2019 एक शताब्दी बाद शुक्र प्रदोष, ब्रह्मयोग में मनेगा धनतेरस

खरीदारी के लिए शुभ माना जाने वाला धनतेरस इस बार खास होने वाला है। कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी पर 25 अक्टूबर को धनतेरस कई शुभ व विशिष्ट योगों के बीच मनाया जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 09:56 AM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 08:03 PM (IST)
dhanteras 2019 एक शताब्दी बाद शुक्र प्रदोष, ब्रह्मयोग में मनेगा धनतेरस
dhanteras 2019 एक शताब्दी बाद शुक्र प्रदोष, ब्रह्मयोग में मनेगा धनतेरस

हल्द्वानी, जेएनएन : खरीदारी व नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाने वाला धनतेरस इस बार खास होने वाला है। कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी पर 25 अक्टूबर को धनतेरस कई शुभ व विशिष्ट योगों के बीच मनाया जाएगा।

वैसे भी धनतेरस अबूझ मुहूर्त दिवस होता है। इसी दिन स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरि की जयंती भी रहेगी। भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस बार शुक्रवार को प्रदोष भी रहेगा, जिससे शुक्र प्रदोष व धन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है। इसके अलावा ब्रह्मयोग व सिद्धियोग रहेगा। पंडितों के अनुसार 100 साल बाद ऐसे महासंयोग की स्थिति बन रही है।

इससे पहले एक नवंबर 1918 को ऐसा महासंयोग बना था। भगवान कुबेर को शिवजी ने धनतेरस के दिन ही धनाध्यक्ष की उपाधि प्रदान की थी। इस दिन जो भी शुभ कार्य या खरीदारी की जाए, वह समृद्धिकारक होती है। ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि धनतेरस पर शाम को लक्ष्मी व कुबेर की पूजा, यम दीपदान किया जाता है। यह अबूझ मुहूर्त वाला दिन होता है। पूरे दिन खरीदी की जा सकती है। शाम को प्रदोष काल में की गई खरीदारी अति शुभ रहेगी।

ज्वैलरी, वाहन खरीदारी शुभकारक

ज्योतिषाचार्य डॉ. गोपाल दत्त त्रिपाठी के मुताबिक धनतेरस के दिन चांदी और पीतल के बर्तन, चांदी के सिक्के, चांदी की गणेश व लक्ष्मी की प्रतिमाओं की खरीदारी करने की प्राचीन परंपरा है। इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन आदि का चलन भी रहा है।

ये हैं अन्‍य मान्‍यताएं महाभारत के अनुसार इसी कार्तिक अमावस्या को पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में उनके राज्य के लोगों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी। सिखों के 6वें गुरु गोविंद सिंह सहित 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। गुरु गोविंद सिंह के कहने पर राजाओं को भी कैद से रिहाई मिली थी। इसलिए इस त्योहार को सिख समुदाय के लोग भी मनाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया और सभी देवी कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ाया। समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी ने सृष्टि में अवतार लिया था। उन्‍हें धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसीलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी की पूजा भी करतें हैं। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है। राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। वामन ने राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि मांग ली और विराट रूप लेकर तीनों लोक ले लिए। इसके बाद सुतल का राज्य बलि को प्रदान किया। सुतल का राज्य जब बलि को मिला तब वहां उत्सव मनाया गया, तब से दीपावली की शुरुआत हुई। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। इसी दिन से दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है।

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