नैनीताल जिले में 338 विकास योजनाओं को वन अधिनियम से हरी मिली झंडी

वन संरक्षक दक्षिणी कुमाऊं के अंतर्गत नैनीताल जिले में 338 सड़क सिंचाई व अन्य योजनाओं में वन अधिनियम का रोड़ा हट गया है। भारत सरकार से इन कार्यों के लिए वन भूमि हस्तांतरण की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 12:18 PM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 12:18 PM (IST)
नैनीताल जिले में 338 विकास योजनाओं को वन अधिनियम से हरी मिली झंडी
नैनीताल जिले में 338 विकास योजनाओं को वन अधिनियम से हरी मिली झंडी

नैनीताल, जागरण संवाददाता : वन संरक्षक दक्षिणी कुमाऊं के अंतर्गत नैनीताल जिले में 338 सड़क, सिंचाई व अन्य योजनाओं में वन अधिनियम का रोड़ा हट गया है। भारत सरकार से इन कार्यों के लिए वन भूमि हस्तांतरण की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है। नैनीताल जिले के पहाड़ी इलाकों में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में वन भूमि हस्तांतरण बड़ी बाधा है। याचक विभाग से लेकर डीएफओ ऑफिस, वन संरक्षक कार्यालय से पत्रावलियां स्टेट नोडल अफसर को भेजी जाती हैं। वहां से फिर लखनऊ या भारत सरकार भेजा जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में कभी कभी सालों लग जाते हैं। अब विभाग, जिला व राज्य स्तर पर लगातार समीक्षा व पत्रावलियों को ऑनलाइन जमा करने के बाद इसमें तेजी आई है।

नैनीताल में केंद्र से 338 मामलों को हरी झंडी

नैनीताल वन प्रभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में मई 2021 तक वन भूमि हस्तांतरण के 338 मामलों को भारत सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है। इसमें भारत सरकार के उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय के ऑफिस से मिले सड़क के 142, पेयजल के 128, सिंचाई के 11, विद्युत के 14 तथा अन्य 43 प्रकरण हैं। जबकि लंबित मामलों में भारत सरकार स्तर पर दस, नोडल अफसर स्तर पर 24, याचक विभाग के स्तर पर 40 मामले हैं। अपर पीसीसीएफ व उत्तराखंड के नोडल अधिकारी वन संरक्षण डॉ कपिल जोशी का कहना है कि वन भूमि हस्तांतरण की तय प्रक्रिया है। जिलाधिकारी के स्तर के साथ ही शासन स्तर भी प्रकरण निस्तारण की समीक्षा की जाती रही है।

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