रामनगर में एक दशक से टूटी सड़क बनी गांव की नियत‍ि, शासन प्रशासन ने आज तक नहीं ली सुध

कोटाबाग ब्लॉक में कई गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण पिछले दस साल से सड़क के लिए परेशान है। दस साल बीतने के बाद भी जगह-जगह टूटी सड़क बनाने की सुध अब तक सरकार ने नहीं ली है। टूटी सड़क पांच गांव के सैकड़ों लोगों की नियति बन चुकी है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 11:34 AM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 11:34 AM (IST)
रामनगर में एक दशक से टूटी सड़क बनी गांव की नियत‍ि, शासन प्रशासन ने आज तक नहीं ली सुध
सड़क टूटने की वजह ग्रामीण पानी की निकासी नहीं होना बताते हैं।

जागरण संवाददाता, रामनगर (नैनीताल) : क्षेत्र में वीआईपी के आने पर क्षतिग्रस्त सड़क की तत्काल मरम्मत हो जाती है। वहीं कोटाबाग ब्लॉक में कई गांव ऐसे हैं, जहां के ग्रामीण पिछले दस साल से सड़क के लिए परेशान है। दस साल बीतने के बाद भी जगह-जगह टूटी सड़क बनाने की सुध अब तक सरकार ने नहीं ली है। टूटी सड़क अब पांच गांव के सैकड़ों लोगों की नियति बन चुकी है।

कोटाबाग ब्लाक के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत वर्ष 2007 में बोहराकोट से ओखलढूंगा तक दस किलोमीटर डामरीकरण सड़क बनाई गई थी। ओखलढूंगा के बाद यह सड़क बेतालघाट, गरमपानी, भवाली होते हुए यह अल्मोड़ा के लिए निकलती है। ग्रामीणों के मुताबिक दो तीन साल के बाद दस किलोमीटर सड़क जगह-जगह से उखडऩे व टूटने लगी। आज आलम यह है कि क्षतिग्रस्त होने की वजह से सड़क चलने लायक ही नहीं बची है। बड़े गड्ढे होने से डिलीवरी के लिए गांव की महिलाओं को इस सड़क से ले जाना खासा मुश्किल भरा होता है। वाहनों के टायर पंचर होने के साथ ही बारिश के दौरान जल भराव होने पर ग्रामीणों को आवाजाही में परेशानी उठानी पड़ती है।

सड़क टूटने की वजह ग्रामीण पानी की निकासी नहीं होना बताते हैं। उनका कहना है कि सड़क में बारिश या अन्य जगह से पानी आकर जमा हो जाता है। जिस वजह से सड़क उखड़ती चली गई। सड़क टूटने से डॉन परैवा, ओखलढूंगा, भैसोड़ा, बसीला, गोरियादेव गांव के सैकड़ों लोग प्रभावित हैं। ओखलढुंगा की प्रधान प्रीति चौरसिया ने बताया कि पूर्व में कई बार नेताओं को पत्र देकर सड़क की दुर्दशा से अवगत कराया गया। लेकिन अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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