हल्द्वानी मंडी अध्यक्ष व सचिव को बर्खास्त करने की मांग, प्रगतिशील किसान मंच ने डीएम को सौंपा पत्र

डीएम को दिए पत्र में प्रगतिशील किसान मंच की ओर से कहा गया है कि मंडी समिति हल्द्वानी अध्यक्ष को राजनैतिक लाभ पहुंचाने की मकसद से किसानों से धोखा कर रही है। मंडी अध्यक्ष मनोज शाह भीमताल से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 03:50 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 03:50 PM (IST)
हल्द्वानी मंडी अध्यक्ष व सचिव को बर्खास्त करने की मांग, प्रगतिशील किसान मंच ने डीएम को सौंपा पत्र
कैंप मंडी क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ भीमताल में लगाया जा रहा है, जो कि गैरकानूनी है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : चुनाव की तैयारी का आरोप लगाते हुए सिर्फ भीमताल विधानसभा में किसान कैंप पर आपत्ति की गई है। प्रगतिशील किसान मंच संगठन ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मंडी अध्यक्ष व सचिव को बर्खास्त करने की मांग की है।

डीएम को दिए पत्र में प्रगतिशील किसान मंच की ओर से कहा गया है कि मंडी समिति हल्द्वानी अध्यक्ष को राजनैतिक लाभ पहुंचाने की मकसद से किसानों से धोखा कर रही है। मंडी अध्यक्ष मनोज शाह भीमताल से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में सिर्फ भीमताल विधानसभा में ही कैंप लगाया जा रहा है। जबकि कैंप लगाने में किसान के टैक्स का पैसा खर्च किया जा रहा है। जिसमें अभी तक लाखों रुपये खर्च करने का दावा किया गया है। आरोप है कि कैंप मंडी क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ भीमताल में लगाया जा रहा है, जो कि गैरकानूनी है।

किसान संगठन का कहना है कि कैंप लगाने में आ रहे खर्च को मंडी अध्यक्ष मनोज शाह व सचिव विश्व विजय सिंह देव से वसूल करना चाहिए। इसे राजनैतिक व आर्थिक अनियमितता करार देते हुए कहा है कि जिम्मेदार सचिव व अध्यक्ष पर तत्काल कार्रवाई कर बर्खास्त किया जाए। कहा है कि मंडी समिति की ओर से यह किसान कैंप राजनैतिक उद्देश्य से चुनाव में लाभ कमाने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं। जिसमें सरकारी मंडी फंड का प्रयोग किया जा रहा है। यह सरासर गलत है।

इसका खर्चा तत्काल मंडी समिति के अध्यक्ष व सचिव से व्यक्तिगत वसूल किया जाए। प्रगतिशील किसान मंच ने मांग की है कि विधानसभा क्षेत्र अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बेतालघाट, हल्द्वानी, कोटाबाग में भी कैंप आयोजित करने की जरूरत है। चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह में इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस संबंध में वह न्यायालय की शरण भी ले सकते हैं।

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