दुष्कर्म मामले में पिथौरागढ़ जिले में पहली बार दी गई फांसी की सजा

छह माह तक 32 वर्षीय सौतेले भाई की हवस का शिकार बनती रही। प्रतिदिन वेदना सहने वाली बालिका के सम्मुख उसकी वेदना सुनने वाला भी कोई नहीं था जो रक्षक था वही शोषक बना था। सौतेले भाई के दो नाबालिग बच्चे भी साथ ही रहते थे।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 08:49 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 08:49 PM (IST)
दुष्कर्म मामले में पिथौरागढ़ जिले में पहली बार दी गई फांसी की सजा
दुष्कर्म मामले में नेपाल युवक को फांसी की सजा दी गई है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : जिले में दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा का यह पहला मामला है। पिथौरागढ़ न्यायालय में पूर्व में भी एक महिला को फांसी की सजा हुई थी। तब उसने अपने दो मासूम बच्चों को दराती से काट डाला था। दुष्कर्म मामले में नेपाल युवक को फांसी की सजा दी गई है। 

 दुष्कर्म की यह घटना अमानवीयता की सभी हदों को पार करने वाली है। बालिका के दूध के दांत भी नहीं टूटे थे। वह छह माह तक 32 वर्षीय सौतेले भाई की हवस का शिकार बनती रही। प्रतिदिन वेदना सहने वाली बालिका के सम्मुख उसकी वेदना सुनने वाला भी कोई नहीं था, जो रक्षक था वही शोषक बना था। सौतेले भाई के दो नाबालिग बच्चे भी साथ ही रहते थे। उसकी बेटी पीडि़ता से एक वर्ष बड़ी है। अभियुक्त का एक और बेटा है जो उसके साथ नहीं रहता था। 
पुलिस की अपील पर कोई नहीं आया सामने 
पुलिस ने मामले में पीडि़ता के संरक्षण के लिए आम लोगों से अपील की। लेकिन कोई सामने नहीं आया। इस पर पुलिस अधिकारियों ने चार अप्रैल 2021 को  नगर में कार्यरत एक संस्था को उसे सौंप दिया। 
 
माता-पिता का हो चुका है निधन 
पीडि़ता ने संस्था प्रमुख को बताया कि उसके माता, पिता का निधन हो गया है। वह अपने सौतेले भाई के साथ ही रहती थी, जो उसके साथ दुष्कर्म करता और बेरहमी से पीटता भी था। शरीर पर गहरे जख्म के निशान भी थे। चिकित्सकीय परीक्षण में बालिका के शरीर में कई गंभीर घाव मिले। कुछ तो सूख चुके थे कुछ घाव अभी ताजा थे। 
अभियोजन पक्ष ने की मजबूत पैरवी 
अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पंत और विशेष लोक अभियोजन प्रेम सिंह भंडारी ने मजबूत पैरवी की। उन्होंने संबंधित गवाहों को पेश किया। मेडिकल रिपोर्ट भी अदालत के समक्ष रखी। 
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