जेल में पिटाई से ही हुई विचाराधीन कैदी की मौत, काशीपुर के कैदी प्रवेश का मामला

काशीपुर कोतवाली के कुंडेश्वरी निवासी प्रवेश कुमार को पाक्सो के मामले में गिरफ्तार कर हल्द्वानी जेल भेजा गया था। छह मार्च को हल्द्वानी जेल में प्रवेश की मृत्यु हो गई। 24 मई 2021 को मामले में न्यायालय के आदेश पर हल्द्वानी थाने में बंदीरक्षकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 10:16 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 07:07 AM (IST)
जेल में पिटाई से ही हुई विचाराधीन कैदी की मौत, काशीपुर के कैदी प्रवेश का मामला
छह मार्च को हल्द्वानी जेल में प्रवेश की मृत्यु हो गई।

जागरण संवाददाता, काशीपुर : हल्द्वानी जेल में काशीपुर के विचाराधीन कैदी प्रवेश की मौत की न्यायिक जांच में सामने आया कि मौत बंदी रक्षकों की पिटाई के कारण ही हुई। मौत होने के बाद ही जेल कर्मी मृत अवस्था में अस्पताल ले गए। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बंदी रक्षकों को दोषी मानते हुए जांच रिपोर्ट अग्रिम कार्रवाई के लिए सीजेएम नैनीताल को सौंप दी है। काशीपुर कोतवाली के कुंडेश्वरी निवासी प्रवेश कुमार को पाक्सो के मामले में गिरफ्तार कर हल्द्वानी जेल भेजा गया था। छह मार्च को हल्द्वानी जेल में प्रवेश की मृत्यु हो गई। 24 मई 2021 को मामले में न्यायालय के आदेश पर हल्द्वानी थाने में बंदीरक्षकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मृतक की पत्नी, भाई, विचाराधीन बंदियों, दोष सिद्ध बंदी, पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर, सीएमओ समेत 17 लोगों के बयान लिए।

जांच में सामने आया कि पांच मार्च को गिरफ्तारी के बाद एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल में चिकित्सीय परीक्षण किया गया। परीक्षण के समय प्रवेश के शरीर पर चोट नहीं थी और वह स्वस्थ था। हल्द्वानी जेल में दाखिला करते समय चिकित्सीय परीक्षण में यह अंकित किया गया कि उसकी कमर में रगड़ का निशान था और कोई चोट नहीं थी। जांच रिपोर्ट में यह भी अंकित है कि बंदी रक्षकों ने प्रवेश की पिटाई की और उसे बांधकर बैरक में डाल दिया। उसके बाद फिर बाहर निकालकर उसकी फिर पिटाई की। शरीर पर काफी चोट लगने से मौके पर ही दम तोड़ दिया।

जेल के लोग प्रवेश को मृत अवस्था में जेल के बाहर ले गए। मामले में एक गवाह, जो आठ साल से सजा काट रहा था, को  जेल प्रशासन ने 17-18 मार्च को हरिद्वार जेल में शिफ्ट कर दिया। इस संबंध में कोई आदेश न्यायिक जांच के दौरान पेश नहीं किया गया। जांच में निष्कर्ष सामने आया है कि प्रवेश के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार कर मृत्यु कारित किया गया। वास्तविक तथ्यों को उपकारागार में दोषियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई अमल में न लाकर गवाहों को डराया-धमकाया गया।

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