हल्द्वानी एमबीपीजी कालेज की फीस भरने में साइबर कैफे वाले कर रहे घपला
साइबर कैफे संचालकों ने विद्यार्थियों के साथ धोखाधड़ी कर दी। प्रवेश की औपचारिकता पूरी करने के बाद साइबर कैफे में विद्यार्थियों से प्रवेश शुल्क तो लिया लेकिन उन्हें फर्जी रसीद पकड़ा दी। इस धोखाधड़ी के शिकार सैकड़ों विद्यार्थी इन दिनों एमबीपीजी कॉलेज के चक्कर काट रहे हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : डिग्री कॉलेज में प्रवेश के नाम पर साइबर कैफे संचालकों ने विद्यार्थियों के साथ धोखाधड़ी कर दी। प्रवेश की औपचारिकता पूरी करने के बाद साइबर कैफे में विद्यार्थियों से प्रवेश शुल्क तो लिया, लेकिन उन्हें फर्जी रसीद पकड़ा दी। इस धोखाधड़ी के शिकार सैकड़ों विद्यार्थी इन दिनों एमबीपीजी कॉलेज के चक्कर काट रहे हैं। इन विद्यार्थियों की फीस रसीद जांचने पर मामले का पर्दाफाश हुआ है।
डिग्री कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया आनलाइन चली। कुमाऊं विश्वविद्यालय के पोर्टल में आनलाइन आवेदन करने के लिए अधिकांश विद्यार्थियों ने सुविधानुसार साइबर कैफे का सहारा लिया। कैफे संचालकों ने अधिक से अधिक कमाई के चक्कर में जल्दबाजी में विद्यार्थियों के आवेदन फार्म भर दिए। इसके बाद एमबीपीजी कॉलेज ने आवेदकों की सूची मिलने के बाद मेरिट सूची जारी की। आवेदनों की जांच के बाद आवेदन मंजूर हुए और विद्यार्थियों से फीस जमा करने को कहा गया।
विद्यार्थियों ने प्रवेश शुल्क आनलाइन भरने के लिए फिर साइबर कैफे का रुख किया। कैफे संचालकों ने फीस जमा हो गई है, इस बात का विश्वास दिलाने के लिए विद्यार्थियों को रसीद पकड़ा दी। इधर, जब विद्यार्थियों ने सत्यापन के लिए अपने दस्तावेज जमा किए तो सैकड़ों विद्यार्थियों को पता चला कि फीस जमा न हो पाने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं मिल सका है।
लालकुआं क्षेत्र के सबसे अधिक मामले
जिन विद्यार्थियों के साथ धोखाधड़ी हुई है, उनमें से 90 फीसद लालकुआं क्षेत्र के हैं, जिन्होंने बीए, बीकॉम प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए नजदीकी साइबर कैफे के माध्यम से फीस जमा कराई।
ऐसे हुआ खुलासा
केस - एक
साइबर कैफे के माध्यम से बीकॉम प्रथम वर्ष की प्रवेश फीस जमा कराने वाले एक विद्यार्थी को एक रसीद दी गई। इस रसीद में फीस के साथ ही पेमेंट गेटवे चार्जेज भी जोड़ा गया है, जबकि गेटवे चार्जेज तभी वसूला जाता है, जब दो हजार रुपये से ऊपर की रकम जमा की गई हो। बीकॉम में प्रवेश शुल्क 1300 रुपये के आसपास ही है।
केस - दो
स्नातक प्रथम वर्ष का प्रवेश शुल्क जमा कराने वाले दो विद्यार्थियों को साइबर कैफे से रसीद दी गई। एक विद्यार्थी की रसीद में दोनों ट्रांजेक्शन नंबर एक जैसे हैं, जबकि दूसरे विद्यार्थी की रसीद में यह नंबर अलग-अलग हैं। दोनों को फीस जमा न होने के कारण प्रवेश नहीं मिला है।
केस - तीन
एक ही साइबर कैफे से फीस जमा करने वाले दो विद्यार्थियों की रसीद में भी अंतर है। एक विद्यार्थी की रसीद में फीस स्टेटस के आगे कंप्लीट लिखा है, जबकि दूसरे की रसीद में सक्सेस लिखा है। गौर करने वाली बात ये है कि कंप्यूटरीकृत रसीद में सक्सेस की स्पेलिंग भी गलत है। प्रभारी प्राचार्य एमबीपीजी कालेज डॉ बीआर पंत ने बताया कि कई विद्यार्थी फीस जमा न हो पाने की शिकायत लेकर आए थे। उनकी फीस रसीद जांची तो कई खामियां पाई गई हैं।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें