ऑटो चालक की कमाई 30 लाख प्रतिमाह, जानिए आखिर क्या है मामला
छह माह की मशक्कत के बाद पुलिस ने एक साइबर ठग को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित से पुलिस साइबर ठगी के अन्य मामलों के बारे में भी पूछताछ कर रही है। वहीं साइबर ठग का बैंक बैलेंस देखकर पुलिस अधिकारी हैरान हैं।
मनीस पांडेय, हल्द्वानी : छह माह की मशक्कत के बाद पुलिस ने एक साइबर ठग को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित से पुलिस साइबर ठगी के अन्य मामलों के बारे में भी पूछताछ कर रही है। वहीं साइबर ठग का बैंक बैलेंस देखकर पुलिस अधिकारी हैरान हैं। एक महीने के भीतर उसके खाते से 30 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ है।
राजस्थान में अजमेर जिले के ग्राम कंजर बस्ती थाना रामगंज निवासी रणजीत सिंह पुत्र मक्खन वैसे तो आटो ड्राइवर का कार्य करता है, लेकिन आटो चलाकर मुश्किल से गुजारा होने के चलते उसने ठगी का धंधा शुरू कर दिया है। पुलिस टीम ने जब उसका मई माह का बैंक बैलेंस व ट्रांजैक्शन जांचा तो वह हैरान हो गए। युवक के खाते में एक माह के दौरान करीब 30 लाख रुपये के ट्रांजेक्शन किए गए हैं।
हल्द्वानी में तीन जनवरी को आरोपित ने स्कूटी बेचने के नाम पर 46800 रुपये की ठगी कर डाली। जबकि ओएलएक्स पर हुई इस डील में स्कूटी का रेट 20 हजार तय किया गया था। लेकिन आरोपित ने प्रोसेसिंग शुल्क व रीफंड मनी आदि के बहाने दोगुने से भी ज्यादा की रकम अपने खाते में डलवा ली। पुलिस चौकी राजपुरा प्रभारी उपनिरीक्षक प्रकाश पोखरिया ने बताया कि आरोपित को गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ की गई है। ठगी के कार्य में सहयोग करने वाले लोगों के बारे में भी पूछा गया।
आर्मी अधिकारी बनकर करता है ठगी
देश की सेना के प्रति लगभग सभी के मन में सम्मान व विश्वास होता है। लोगों के इसी विश्वास का फायदा उठाकर आरोपित ठगी का कार्य करता है। आरोपित ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने अपनी फेसबुक व वाट्सएप प्रोफाइल में आर्मी की फोटो लगा रखी है। जिससे लोग आसानी से उस पर भरोसा कर लेते हैं।
सस्ते रेट से लालच में पड़ते हैं लोग
ओएलएक्स व अन्य शॉपिंग वेबसाइट पर लोग सस्ता रेट देख लालच में पड़ जाते हैं। जिसमें स्कूटी, मोटर साइकिल, कार आदि सेकेंड हैंड बेचने का झांसा दिया जाता है। अच्छी कंडीशन की बाइक 15 से 20 हजार रुपये में बिकती देख लोग अपना सब कुछ गंवा देते हैं।
राजस्थान व झारखंड में पुलिस ने डाला डेरा
साइबर अपराध की जड़ें खोदने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। साइबर ठगी के सबसे ज्यादा मामले झारखंड और राजस्थान आदि जिलों में देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में अपराधियों की धरपकड़ के लिए एसओजी की टीम ने झारखंड व राजस्थान में डेरा डाल दिया है। जिसमें लोकेशन ट्रेस किए गए अपराधियों की खोजबीन की जा रही है। इस कार्य में स्थानीय पुलिस की भी सहायता मिल रही है।
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