एसबीएस के डीडीयू कौशल केंद्र में करोड़ों का गाेलमाल, आडिट रिपोर्ट से मचा हड़कंप

भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में यूजीसी की की ओर से छात्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए दो वर्षीय प्रोजेक्ट दीन दयाल कौशल केंद्र खोला गया। बीते दिनों आडिट के दौरान कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई। महाविद्यालय की कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट प्राचार्य को सौंपी।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 08:25 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 08:25 AM (IST)
एसबीएस के डीडीयू कौशल केंद्र में करोड़ों का गाेलमाल, आडिट रिपोर्ट से मचा हड़कंप
बताया गया कि जितने रुपये के सामान क्रय किए गए हैं, उतने सामान नहीं दिख रहे हैं।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र में वित्तीय अनियमितता की बू आ रही है। दो साल के प्रोजेक्ट की स्वीकृति के बाद सेल्फ फाइनेंस पर संचालन के लिए आदेश के बाद अब भी केंद्र संचालित है। अब इस प्रोजेक्ट के लिए बजट नदारद है। इसके संचालन के लिए एवं अन्य मदों में बजट मिलने के बाद भी बच्चों की फीस से जुटी रकम वेतन उपभोग में प्रयोग कर लिया गया है। ऐसे में केंद्र के संचालन के लिए सिर्फ 19 लाख खाते में शेष हैं। सवाल उठता है कि बजट मिलने के बाद भी किन किन मदों का पैसा वेतन में प्रयोग कर लिया गया है।

सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में यूजीसी की की ओर से छात्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए दो वर्षीय प्रोजेक्ट दीन दयाल कौशल केंद्र खोला गया। एक केंद्र रुद्रपुर महाविद्यालय में एवं दूसरा शांतिपुरी में संचालित हो रहा है। इस प्रोजेक्ट को चलाने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर सहित आठ शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति कर कार्यक्रम संचालित करने के आदेश जारी किए। इसमें बैचलर आफ वोकेशनल कोर्स, डेस्कटाप पब्लिशिंग चलाने की स्वीकृति दी गई। वर्तमान में 133 छात्र अध्ययनरत हैं।

बीते दिनों आडिट के दौरान कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई। जिसके बाद महाविद्यालय की कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट प्राचार्य को सौंपी। रिपोर्ट एवं आडिट के आधार पर कई मामले खुल कर सामने आए हैं। वेतन विसंगति एवं मनमाना तरीके से सातवें वेतनमान का लाभ भी इसमें शामिल है। सवाल उठता है कि यूजीसी की ओर से जब प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसमें वेतन निर्धारित है। इसके बाद भी किसके आदेश पर वेतनवृद्धि की गई। जबकि यूजीसी ने सभी कर्मचारियों के वेतन की राशि निर्धारित कर भुगतान किया। खास बात यह भी है कि मानक के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हुई। जिन प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई, उनके हिस्से का वेतन भी उपभोग किया गया।

यूजीसी के जिओ में स्पष्ट लिखा है कि दो वर्ष के प्रोजेक्ट संचालन के बाद इसे सेल्फ फाइनेंस पर संचालित किया जाए। पांच वर्ष बीत चुके हैं अब बजट नहीं है। आडिट में छात्रों द्वारा भुगतान किए गए राशि से भी लाखाें रुपये वेतन में चले गए। सिर्फ 19 लाख रुपये खाते में शेष रह गया है। शिक्षकों का वेतन साढ़े तीन लाख रुपये प्रति माह दिया जाता है। ऐसे में जिन छात्रों ने प्रवेश लिया है उनके भविष्य के बारे में कौन सोचेगा। फिलहाल मामले में जांच के बाद कमेटी ने रिपोर्ट प्राचार्य को सौंपी है, जहां से यूजीसी को रिपोर्ट भेजी गई है। यह भी बताया गया कि जितने रुपये के सामान क्रय किए गए हैं, उतने सामान नहीं दिख रहे हैं।

एसबीएस डिग्री कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर कमल किशोर पांडेय ने बताया कि दो वर्ष के लिए प्रोजेक्ट चलाया गया था। इसके हिसाब से 70 लाख रुपये देकर स्टार्टअप किया गया। समय समय पर दो वर्ष के संचालन के लिए एवं कंप्यूटर आदि खरीदने के लिए बजट मिला। इसके बाद भी अब केंद्र चलाने के लिए राशि नहीं है। कुछ वित्तीय अनियमितताएं एवं मानकों का उल्लंघन हुआ है। कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंपी है। उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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