सुशीला तिवारी अस्पताल में सर्जरी विभाग के एचओडी को लेकर फिर मचा घमासान
राजकीय मेडिकल कॉलेज का सर्जरी विभाग एक बार फिर विवादों में आ गया है। इस समय विवाद विभागाध्यक्ष को लेकर है। प्राचार्य ने 15 जून को कांट्रेक्ट में कार्यरत प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। जबकि पहले से कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर चार्ज देने को तैयार नहीं हैं।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : राजकीय मेडिकल कॉलेज का सर्जरी विभाग एक बार फिर विवादों में आ गया है। इस समय विवाद विभागाध्यक्ष को लेकर है। प्राचार्य ने 15 जून को कांट्रेक्ट में कार्यरत प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। जबकि पहले से कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर चार्ज देने को तैयार नहीं हैं।
विभागाध्यक्ष डा. केएस साही के अल्मोड़ा ट्रांसफर होने के बाद विभागाध्यक्ष को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। नौ महीने पहले प्राचार्य ने एसोसिएट प्रोफेसर डा. भुवन को विभागाध्यक्ष बनाया। इसके बाद प्रोफेसर बने डा. राजीव कुमार सिंह ने एचओडी बनाए जाने को लेकर प्राचार्य को पत्र लिखा। इस संबंध में प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा ने शासन से दिशा-निर्देश मांगे। शासन ने पत्र में लिखा है कि फिलहाल इस संबंध में कोई नियमावली नहीं है।
विभागाध्यक्ष तय करने की जिम्मेदारी कॉलेज की है और परंपरागत तौर पर प्रोफेसर को एचओडी बनाया जा सकता है। इसके बाद प्राचार्य ने डा. सिंह को विभागाध्यक्ष बना दिया है। 15 जून को पत्र मिलने के बाद डा. सिंह ने बुधवार को डा. भुवन से मुलाकात की। चार्ज सौंपे जाने को कहा, लेकिन डा. भुवन ने फिलहाल पद पर बने रहने की बात कही। इस तरह की स्थिति से विभाग में विभागाध्यक्ष को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। वहीं चर्चा है कि तीन जून को कॉलेज में एचओडी की बैठक में स्थायी तौर पर कार्यरत फैकल्टी को ही विभागाध्यक्ष बनाए जाने पर सहमति बनी थी।
सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. भुवन ने कहा कि मैं नौ महीने से एचओडी हूं। स्थायी हूं। कांट्रेक्ट वाले को एचओडी कैसे बना सकते हैं? जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट का भी आर्डर स्थायी को ही एचओडी बनाने का है। वहीं सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डा. राजीव सिंह का कहना है कि मैंने चार्ज के लिए बात की है। फिलहाल मुझे चार्ज नहीं मिला है। उम्मीद है कि इस मामले का एक-दो दिन में प्राचार्य उचित हल निकाल लेंगे। प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि परंपरागत प्रोफेसर को एचओडी बनाया जा सकता है। इसी आधार पर मैंने एचओडी तय किया है। इसमें किसी तरह का संशय नहीं है।
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