आचार्य बालकृष्ण, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि की रजिस्ट्रार व अन्य को अवमानना नोटिस

हाईकोर्ट ने आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी हुई फीस का शासनादेश रद होने के बाद भी छात्रों को फीस नहीं लौटाने के मामले को गंभीरता से लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 07:48 PM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 10:18 AM (IST)
आचार्य बालकृष्ण, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि की रजिस्ट्रार व अन्य को अवमानना नोटिस
आचार्य बालकृष्ण, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि की रजिस्ट्रार व अन्य को अवमानना नोटिस

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी हुई फीस का शासनादेश रद होने के बाद भी छात्रों को फीस नहीं लौटाने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने भारतीय आयुर्वेदिक एवं अनुसंधान संस्थान, पतंजलि योगपीठ के निदेशक आचार्य बालकृष्ण, प्रधानाचार्य डीएन शर्मा, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि की रजिस्ट्रार माधवी गोस्वामी को अवमानना नोटिस जारी किया है। साथ ही तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

पिथौरागढ़ के शुभम पंत समेत दो दर्जन छात्रों ने अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि पिछले साल नौ जुलाई को हाई कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2015 को जारी शासनादेश रद कर दिया था। इस आधार पर आयुर्वेदिक कॉलेज के करीब 50 छात्रों ने याचिका दायर कर कहा कि उनसे बढ़ी हुई फीस ना ली जाए। कोर्ट ने पुराने आदेश का हवाला देकर याचिका स्वीकार करते हुए संस्थान को बढ़ी हुई फीस ना वसूलने व वसूली गई  फीस का पैसा वापस करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा है कि फीस निर्धारण का अधिकार सिर्फ रेगुलेटरी कमेटी को है। इसके बाद भी संस्थान द्वारा फीस नहीं लौटाई जा रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनोद तिवारी ने कोर्ट को बताया कि अदालत के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद आचार्य बालकृष्ण समेत अन्य को अवमानना नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। यहां बता दें कि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में 80 हजार सालाना फीस को बढ़ाकर दो लाख 15 हजार कर दिया था। मगर कोर्ट ने बढ़ी हुई फीस वाला शासनादेश रद कर दिया था। छात्र-छात्राएं इसी मांग को लेकर दून में आंदोलन कर रहे हैं। यह मामला राज्य सरकार के गले की फांस बन गया है। 

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