Covid Curfew में व्यावसायिक सिलिंडरों की खपत घटी, रोजाना हो रहा लाखों का नुकसान
अब रसोई गैस की भी खपत घट गई है। आलम ये है कि होटल रेस्टोरेंट बार आदि बंद होने से व्यावसायिक सिलिंडरों की रिफिलिंग न के बराबर रह गई है। इससे इंडेन गैस एजेंसियों को हर रोज लाखों रुपये की चपत लग रही है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना संक्रमण के चलते तमाम व्यवस्थाएं धड़ाम हो गई हैं। जहां एक ओर यात्री वाहनों का संचालन ठप होने से पेट्रोलियम कारोबार पहले से ही घाटे में चल रहा है वहीं, अब रसोई गैस की भी खपत घट गई है। आलम ये है कि होटल, रेस्टोरेंट, बार आदि बंद होने से व्यावसायिक सिलिंडरों की रिफिलिंग न के बराबर रह गई है। इससे इंडेन गैस एजेंसियों को हर रोज लाखों रुपये की चपत लग रही है।
हल्द्वानी में इंडेन गैस सर्विस में शहरी क्षेत्र के 25 हजार व ग्रामीण क्षेत्र के 16 हजार उपभोक्ता हैं। इसके अलावा इंडेन की दो अन्य निजी एजेंसियों, भारत गैस व हिंदुस्तान पेट्रोलियम से भी 20 हजार से ज्यादा उपभोक्ता जुड़े हैं। इनमें पांच हजार के आसपास कामर्शियल यानी व्यावसायिक उपभोक्ता शामिल हैं।
कोविड कफ्र्यू लगने के कारण सभी बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो चुके हैं। जिसके चलते व्यावसायिक सिलिंडरों की रिफिलिंग न के बराबर रह गई है। हल्द्वानी गैस एजेंसी के प्रबंधक रवि मेहरा ने बताया कि एजेंसी से शहरी क्षेत्र के 350 उपभोक्ता जुड़े हुए हैं। आम दिनों में प्रतिदिन 70 से 80 व्यापसायिक सिलिंडर रिफिल कराए जाते थे लेकिन अब इनकी संख्या न के बराबर रह गई है। बताया कि कभी कोई शादी-बारात के लिए ही सिलिंडर रिफिल कराए जा रहे हैं।
बीते साल भी खड़ी हुई थी परेशानी
बीते साल कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का सबसे अधिक असर व्यावसायिक गैस सिलिंडरों की खपत पर ही पड़ा था। लॉकडाउन लगने की आशंका में उपभोक्ताओं ने सिलिंडर रिफिल कर स्टाक कर लिए थे। जिसके चलते मार्च और अप्रैल में खपत में इजाफा हुआ था। जबकि, लॉकडाउन लगते ही सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के खुलने पर पाबंदी लगने के कारण मई माह में खपत 20 फीसद ही रह गई थी।
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