जिला पंचायत व प्रशासन के बीच रार से पूर्णागिरि मेले के आयोजन को लेकर असमंजस बरकरार

मां पूर्णागिरि मेला शुरू होने में एक माह से भी कम समय बच गया है। लेकिन मेले के आयोजन को लेकर असमंजस दूर नहीं हो पाया है। जिला पंचायत इस बार मेले का आयोजन स्वयं करने का निर्णय ले चुकी है लेकिन जिला प्रशासन ने हामी नहीं भरी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 02:10 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 02:10 PM (IST)
जिला पंचायत व प्रशासन के बीच रार से पूर्णागिरि मेले के आयोजन को लेकर असमंजस बरकरार
जिला पंचायत व प्रशासन के बीच रार से पूर्णागिरि मेले के आयोजन को लेकर असमंजस बरकरार

चम्पावत, जागरण संवाददाता : उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेला शुरू होने में एक माह से भी कम समय बच गया है। लेकिन मेले के आयोजन को लेकर असमंजस दूर नहीं हो पाया है। जिला पंचायत इस बार मेले का आयोजन स्वयं करने का निर्णय ले चुकी है, लेकिन जिला प्रशासन ने अभी इसके लिए हामी नहीं भरी है। जिला पंचायत पूर्णागिरि मेले की विभिन्न मदों से मिलने वाली आय 2010 से पहले की तरह जिला पंचायत कोष में जमा कराने की भी मांग कर रही है। प्रशासन द्वारा इस संबंध में अब तक कोई निर्णय नहीं लिए जाने के बाद अब जिला पंचायत ने इस संबंध में कोर्ट जाने का निर्णय लिया है।

जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय ने बताया कि  जिला पंचायत पूर्णागिरि मेले का आयोजन इस बार खुद करने का निर्णय ले चुकी है। इस निर्णय की जानकारी जिला प्रशासन को भी दी जा चुकी है। बताया कि जिला पंचायत ने मेला व्यवस्था के लिए मुंडन के ठेके का अधिकार भी जिला पंचायत को देने की मांग की है। अभी तक प्रशासन ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह के भीतर जिला पंचायत अपनी इस मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। गौरतलब है कि पूर्णागिरि धाम के आरक्षित वन क्षेत्र में गैर वानिकी कार्यों पर रोक के बाद 2010 से मेले की व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लग गया था। मेले में 2009 तक पार्किंग, मुंडन, तहबाजारी, साइकिल स्टैंड आदि के ठेकों से होने वाली आय जिला पंचायत के खाते में जमा होती थी।

लेकिन वर्ष 2009 के बाद से ठेकों से मिलने वाली आय मेला समिति के खाते में जमा हो रही है। जिला पंचायत का कहना है कि मेले की व्यवस्थाएं आज भी जिला पंचायत कर रही है लेकिन उसके खाते में एक धैला भी जमा नहीं होता। इससे जिला पंचायत को काफी अधिक नुकसान हो रहा है। इधर वन विभाग द्वारा बूम और ठूलीगाड़ पार्किंग स्थल की जमीन पर अपना हक जताने के बाद पार्किंग का मामला भी अभी अधर में लटका हुआ है। पूर्णागिरि मेला होली के ठीक एक दिन बाद शुरू हो जाएगा, ऐसे में जिला पंचायत, प्रशासन और वन विभाग के अलग-अलग सुर मेले की व्यवस्थाओं में बाधक बने तो इसका नुकसान यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को हो सकता है।

जिला पंचायत अध्यक्ष चम्पावत ज्योति राय ने बताया कि जिला पंचायत पूर्णागिरि मेले की व्यवस्थाएं आज भी कर रही है, लेकिन उसके खाते में मेले से हुई आय का एक पैसा भी नहीं आता। इस बार जिला पंचायत ने मेले का आयोजन स्वयं करने का निर्णय लिया है। मेले के आयोजन और मुंडन ठेेके का अधिकार जिला पंचायत को दिए जाने आदि की मांग को लेकर जिला पंचायत ने कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। इसके लिए कानुनी राय ली जा रही है। एक सप्ताह के भीतर कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी जाएगी।

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