बजट खपाने की होड़ में प्रतियोगिताएं बन गईं मजाक, स्टेट चैंपियनशिप के लिए चार टीमें ही जुटा पाया खेल महकमा
कोरोना के कारण जो प्रतियोगिता पहले नहीं हो सकी थी उन्हेंं अब वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले कराने की चुनौती है। लेकिन खेल महकमे के अफसरों ने इस चुनौती का तोड़ ऐसा निकाला कि राज्यस्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता चार टीमों के बीच ही तीन दिन में निपटा दी गई।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राज्य में खेलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इसमें सरकार ही नहीं खेल विभाग के अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं। कोरोना के कारण जो प्रतियोगिता पहले नहीं हो सकी थी, उन्हेंं अब वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले कराने की चुनौती है। लेकिन खेल महकमे के अफसरों ने इस चुनौती का तोड़ ऐसा निकाला कि राज्यस्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता चार टीमों के बीच ही तीन दिन में निपटा दी गई। इन तीन दिनों में ही लीग, सेमीफाइनल और फाइनल तक हो गया। नौ जिलों के खिलाडिय़ों को मौका तक नहीं मिला।
खेल विभाग की ओर से जनवरी 2021 से अब तक दो राज्यस्तरीय फुटबाल प्रतियोगिताएं हल्द्वानी में हो चुकी हैं। अनुसूचित जाति बालकों की राज्यस्तरीय ओपन फुटबाल प्रतियोगिता शनिवार को समाप्त होगी। पहली दो राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में 13 में से 11 जिलों की टीम ने ही हिस्सा लिया। इसके बावजूद दोनों प्रतियोगिताएं बेहतर रहीं। लेकिन तीसरी राज्यस्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता में सभी नियम ताक पर रख दिए गए।
ऊधमसिंह नगर, चमोली, बागेश्वर और नैनीताल की टीम के बीच ही ये प्रतियोगिता खेली जा रही है। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार जिले की टीम को मौका ही नहीं दिया गया। खेल महकमे के अफसरों का कहना है कि प्रतियोगिताएं बजट के अनुसार कराई जाती है। अनुसूचित जाति बालकों की राज्यस्तरीय ओपन फुटबाल प्रतियोगिता में चार ही टीमें बुलाई गई थीं। अब सवाल ये उठता है कि यदि विभाग इसी तरह बजट खपाने के लिए अपने नियम बनाएगा तो भला कैसे खेल प्रतिभाएं निखरेंगी?
संयुक्त खेल निदेशक धर्मेंद भटट ने बताया कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार किसी भी खेल प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों और टीमों की संख्या सीमित रखी जानी है। ऐसे में कई बार प्रतियोगिताओं में कम टीमों को ही प्रतिभाग कराया जाता है। जिला खेल अधिकारी अख्तर अली का कहना है कि अनुसूचित जाति बालकों की राज्यस्तरीय ओपन फुटबाल प्रतियोगिता में चार ही टीमें खिलाई गई हैं। बजट के अनुसार ही प्रतियोगिता में टीमें निर्धारित की जाती हैं।
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