चिंतन शिविर में इस बात पर भी लगी मुहर, सीएम तो तीरथ मगर चुनावी चेहरा होंगे मोदी
सियासत के सर्कस में जनता तो केवल तमाशबीन है। सियासतदां रोज नए-नए खेल दिखाते हैं और जनता तालियां बजाती है। 2022 के चुनाव में अभी आठ माह का समय शेष है। मगर अब विधान सभा चुनावों का तंबू गड़ चुका है।
विनोद पपनै, रामनगर : सियासत के सर्कस में जनता तो केवल तमाशबीन है। सियासतदां रोज नए-नए खेल दिखाते हैं और जनता तालियां बजाती है। 2022 के चुनाव में अभी आठ माह का समय शेष है। मगर अब विधान सभा चुनावों का तंबू गड़ चुका है। बेशक भाजपा के चिंतन शिविर में कोविड काल में सरकार द्वारा किए गए कार्यों, कार्यकर्ताओं की भूमिका के अलावा सरकार और संगठन के बीच तालमेल पर मंथन किया जा रहा है। मगर चिंतन शिविर के बहाने मिशन 2022 को फतह किए जाने की असल तैयारियां को अंतिम रूप दे दिया गया है।
चिंतन शिविर में विभिन्न पहलुओं पर विचार किये जाने की बात कही जा रही हो। मगर सूत्रों की माने तो मिशन 2022 की पूरी तैयारियां की जा चुकी है। प्रदेश की सभी विधान सभा सीटों पर अपनी जमीनी हकीकत का संगठन ने पूरी तरह आकलन कर लिया है। सूत्रों की माने तो विधान सभा चुनावों में भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा तीरथ सिंह रावत ही रहेंगे मगर उत्तराखंड में भाजपा चुनाव इस बार भी नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर ही चुनावी मैदान में ताल ठोकेगी। भाजपा के एक कद्दावर नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे की चमक अभी भी बरकरार है।
विपक्ष लाख हो हल्ला मचाए मगर पीएम मोदी का अभी भी तोड़ नही है। उनके ही नाम पर प्रदेश में भाजपा चुनाव लड़ेगी ओर अपनी सरकार बनाएगी। चिंतन शिविर में किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा यह तय नही होना है मगर मोदी के नाम पर चुनाव अगर लडऩा है तो कैसे दमखम के साथ चुनाव लड़ा जाएगा। इसके लिए चुनावी रणनीति को जरूर अंतिम रूप दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि भाजपा जनहित को पहली प्राथमिकता देती है। उसके लिए जनहित पहले है। बाकी मुद्दे बाद में है। लेकिन जब जनहित की बातों में चिंतन की बात आती है तो राजनीतिक दल होने के नाते भविष्य की राजनीति की दिशा औऱ दशा पर भी उनका मंथन किया जाना जरूरी है।
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