अंग्रेजों के समय नैनीताल में दिन में तीन बार होती थी सफाई, अब लगता है कूड़े का ढेर
अंग्रेजी राज में बनी नगरपालिका नैनीताल में तीन बार रोजाना साफ सफाई होती थी। शहर साफ सुथरा रहे इसके लिए पालिका बाइलॉज में सख्त नियम कायदे शामिल कर उनका क्रियान्वयन कराया। आम लोगों ने भी शहर को सजाने संवारने में नियमों का पालन किया मगर अब हालात बदल गए हैं।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : अंग्रेजी राज में बनी नगरपालिका नैनीताल में तीन बार रोजाना साफ सफाई होती थी। शहर साफ सुथरा रहे, इसके लिए पालिका बाइलॉज में सख्त नियम कायदे शामिल कर उनका क्रियान्वयन कराया। आम लोगों ने भी शहर को सजाने संवारने में नियमों का पालन किया मगर अब हालात बदल गए हैं। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से तो शहर मानो गंदगी से पट गया है।
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल में लगे गंदगी के ढेर को लेकर स्थानीय लोग यही सवाल उठा रहे हैं। नगरपालिका के बायलॉज के अनुसार यहां होटलों के आगे कपड़ों को सुखाने तक में प्रतिबंध रहा है। नए दौर में अब सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल हुई तो माल रोड में तक गंदगी का साम्राज्य बन गया। घर से बाहर निकलते ही लोगों का सामना गंदगी से हो रहा है। पर्यटक भी नाक भों सिकोड़ने लगे हैं।
शहर में रोजाना करीब 20 टन कूड़ा निकलता है। पर्यटन सीजन में इसकी मात्रा 25 टन तक पहुंच जाती है। हालिया सालों में सफाई सूचकांक में नैनीताल की स्थिति लगातार कम हुई है। अबकी देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी यूनियन के आह्वान पर 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सफाई कर्मचारियों के कार्यबहिष्कार से आमजन बेहाल है।माल रोड से लेकर सूखाताल, बारापत्थर तक सड़क पर गंदगी बिखरी पड़ी है। ठंडी सड़क में भी गंदगी बिखरी है।
मोहल्लों में रखे कूड़े के डस्टबिन भरने के बाद सड़कों पर फैल गया है। कूड़ा डस्टबिन के आसपास बंदरों के आतंक ने राहगीर परेशान हैं। पूर्व पालिका सभासद जगदीश बवाड़ी, उक्रांद नेता सज्जन लाल साह बताते हैं कि राज्य बनने से पहले तक नैनीताल में रोजाना तीन बार सफाई होती थी। उन्होंने कहा कि पालिका को वैकल्पिक इंतजाम करने चाहिए। साथ ही सरकार व शासन को हड़ताली कर्मचारियों की यूनियन से वार्ता कर हड़ताल खत्म करवानी चाहिए।