चोरगलिया-गौलापार हाईवे सात किमी तक दो साल से टूटा, सिडकुल व लोनिवि में विवाद के कारण अब तक नहीं बन सका

गौलापार व चोरगलिया के लोग हाईवे के जानलेवा गड्ढों का दर्द झेलने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ सिडकुल व लोक निर्माण विभाग खस्ताहाल हो चुकी सड़क को लेकर असमंजस में है कि कौन बनाएगा और बजट कौन देगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 09:46 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:46 AM (IST)
चोरगलिया-गौलापार हाईवे सात किमी तक दो साल से टूटा, सिडकुल व लोनिवि में विवाद के कारण अब तक नहीं बन सका
चोरगलिया-गौलापार हाईवे सात किमी तक टूटा, सिडकुल व लोनिवि में विवाद के कारण अब तक नहीं बन सका

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : गौलापार व चोरगलिया के लोग हाईवे के जानलेवा गड्ढों का दर्द झेलने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ सिडकुल व लोक निर्माण विभाग खस्ताहाल हो चुकी सड़क को लेकर असमंजस में है कि कौन बनाएगा और बजट कौन देगा। महकमों के अफसरों के अलावा मामला कमिश्नर व डीएम तक पहुंच चुका है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। वहीं, इस मामले में जनप्रतिनिधियों के रवैये से निराश ग्रामीण अब घर-घर जाकर हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। खासकर अक्सर सड़क से गुजरने वाले वाहन चालकों को अभियान में शामिल किया जा रहा है। पांच हजार लोगों के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन दून जाकर सीएम को सौंपा जाएगा।

चोरगलिया-सितारगंज हाईवे के सात किमी के हिस्से में गड्ढों की भरमार है। कुछ जगहों पर दो-दो फीट तक गड्ढे हैं। बारिश की वजह से ये जानलेवा हो चुके हैं। लोनिवि के मुताबिक यह सड़क उनके स्वामित्व की है, मगर पूर्व में इसे उद्योग विभाग के निर्देश पर सिडकुल द्वारा बनाया गया था। अब अगर लोनिवि को सड़क हैंडओवर करनी है तो मरम्मत के पैसे भी देने होंगे। वहीं, सिडकुल फिलहाल पैसे देने को तैयार नहीं। बस इसी विवाद की वजह से चोरगलिया, गौलापार के ग्रामीणों से लेकर रोज ड्यूटी के लिए इस मार्ग से अप-डाउन करने वाले लोग परेशान हो चुके हैं। हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। स्थानीय निवासी भुवन पोखरिया ने बताया कि चार माह पूर्व महिलाओं संग स्थानीय लोगों ने श्रमदान कर गड्ढे भरने की कोशिश की थी, लेकिन बारिश की वजह से सब बह गया।

हादसे के बाद बनी थी सड़क

2015 में एक सड़क हादसे में सैन्यकर्मी रविंद्र सिंह देऊपा की इस मार्ग पर मौत हुई थी। जिसके बाद लोगों का आक्रोश बढ़ा और एनएच को जाम कर दिया गया। तब जाकर यह हाईवे बनाया गया था, लेकिन सात साल बाद भी मरम्मत नहीं होने से अब पुरानी स्थिति हो चुकी है।

क्‍या कहती हैं लोग और डीएम

स्थानीय निवासी भुवन पोखरिया ने बताया कि सात किमी का सफर खतरे से भरा है। विभागों व अफसरों के दर पर चक्कर काट थक चुके हैं। चुनावी वादे करने वाले जनप्रतिनिधि भी सुनने को तैयार नहीं। सिडकुल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह देऊपा का कहना है कि2015 में संघर्ष के बाद यह रोड बनी। मगर आज तक मरम्मत के नाम पर एक पत्थर नहीं डला। ग्रामीणों के साथ सिडकुल कर्मचारी भी दिक्कत झेल रहे हैं। वहीं डीएम धीराज गब्र्याल का कहना है कि सड़क का प्रकरण पूर्व में संज्ञान में आया था। निचले स्तर पर काम नहीं हुआ तो शासन स्तर से काम करवाया जाएगा।

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी