इस वर्ष चीनी सेना भारी हिमपात में भी नहीं जाएगी नीचे, पाला में हुआ पक्का निर्माण

लिपुलेख के निकट चीन सेना की टुकड़ियां इस वर्ष शीतकाल में निचले स्थानों पर नहीं जाकर पाला में ही डटी रहेंगी। पाला में चीन की सैन्य छावनी बनने के बाद से पक्का निर्माण हो चुका है। जिसके चलते शीतकाल में हिमपात के दौरान भी सेना पाला में ही तैनात रहेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 27 Dec 2020 09:55 PM (IST) Updated:Mon, 28 Dec 2020 10:03 AM (IST)
इस वर्ष चीनी सेना भारी हिमपात में भी नहीं जाएगी नीचे, पाला में हुआ पक्का निर्माण
इस वर्ष चीनी सेना भारी हिमपात में भी नहीं जाएगी नीचे, पाला में हुआ पक्का निर्माण

पिथौरागढ़, जेएनएन : भारत-चीन सीमा लिपुलेख के निकट तैनात चीन सेना की टुकड़ियां इस वर्ष शीतकाल में निचले स्थानों पर नहीं जाकर पाला में ही डटी रहेंगी। पाला में चीन की सैन्य छावनी बनने के बाद से पक्का निर्माण हो चुका है। जिसके चलते शीतकाल में हिमपात के दौरान भी सेना पाला में ही तैनात रहेगी। तिब्बत चीन में पाला नामक स्थान पर भारत-चीन सीमा लिपुलेख से करीब 26 किमी दूर स्थित है।

सीमा के बाद नो मैंस लैंड के बाद तिब्बत चीन में यह पहला गांव आता है। चीन सेना द्वारा यहां पर विगत वर्षों से सैन्य छावनी बनाई जा रही थी। इस वर्ष जुलाई अगस्त माह से सैन्य छावनी बन चुकी है। जहां पर सेना तैनात रहती है। इस बीच यहां पर पूर्व में बने हट्स के स्थान पर अब पक्के भवन बना लिए गए हैं। बीते वर्षो तक शीतकाल में जब भारी हिमपात होता था तो सीमा पर तैनात चीनी सैनिक पाला से नीचे चले जाते थे । यहां तक भारी हिमपात होता है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार पाला में सैन्य छावनी बनने और शीतकाल में रहने के लिए हट्स के स्थान पर पक्का निर्माण किए जाने से चीनी सैनिकों की टुकड़ी यहां रहेगी। सैनिक पूरे शीतकाल में पाला में ही रहेंगे। पाला नामक जगह भारत के लिपुलेख से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में पड़ता है। इसी स्थान पर नेपाल सीमा से तकलाकोट, कैलास मानसरोवर को जाने वाला मार्ग भी मिलता है।

पाला से ही भारत और नेपाल के लोग व्यापार के लिए एक ही मार्ग से तकलाकोट जाते हैं। बताया जा रहा है कि पाला में चीन द्वारा सैन्य छावनी बनाने के बाद सारी सुविधाएं जोड़ दी हैं। लिपुलेख तक कैमरे लगाए गए हैं। संचार सेवा के लिए फाइव जी फोन सेवा तक उपलब्ध कराई है। इसके लिए टॉवर लगे हैं।

चीन पूर्व में कैलास मानसरोवर क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति का विस्तार कर चुका है। चर्चा तो यहां तक है कि कैलास मानसरोवर क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति को बेहद मजबूत कर रहा है। मानसरोवर क्षेत्र के दार्चिन हो या अन्य स्थल सभी जगह सैनिक पूर्व में ही तैनात किए गए हैं। शीतकाल में लिपुलेख सीमा पर भारत ,चीन और नेपाल का क्षेत्र कई फीट बर्फ से ढका रहता है । इस दौरान चीनी सैनिक पाला से ही सीमा की निगरानी करेंगे।

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