ड्रैगन के अतिक्रमण की जांच करने पहुंचे नेपाली जांच दल को चीनी सेना ने भगाया

नेपाल के कर्णाली प्रदेश के हुमला जिले में दो किमी भीतर घुसकर स्थायी निर्माण के आरोपों में घिरी चीनी सेना ने मंगलवार को अतिक्रमण की जांच करने पहुंची नेपाली टीम को ही भगा दिया। तमाम कोशिश के बाद भी अतिक्रमित क्षेत्र में जाने नहीं दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 08:02 PM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 11:38 PM (IST)
ड्रैगन के अतिक्रमण की जांच करने पहुंचे नेपाली जांच दल को चीनी सेना ने भगाया
चीनी सेना ने मंगलवार को अतिक्रमण की जांच करने पहुंची नेपाली टीम को ही भगा दिया।

हल्द्वानी, अभिषेक राज : नेपाल के कर्णाली प्रदेश के हुमला जिले में दो किमी भीतर घुसकर स्थायी निर्माण के आरोपों में घिरी चीनी सेना ने मंगलवार को अतिक्रमण की जांच करने पहुंची नेपाली टीम को ही भगा दिया। तमाम कोशिश के बाद भी अतिक्रमित क्षेत्र में जाने नहीं दिया। वहां से लौटी टीम ने नेपाल सरकार को रिपोर्ट भेज दी है, जिसमें अतिक्रमण की पुष्टि की गई है।

जांच टीम को सीमा पर लगाए गए पिलर नंबर 11 और 12 भी नहीं मिले, जिसे चीनी सेना ध्वस्त कर बॉर्डर में बदलाव की कोशिश की है। टीम के साथ मौजूद नाम्खा गांवपालिका के अध्यक्ष विष्णु बहादुर लामा ने बताया कि चीनी सेना ने सीमांकन करने वाले पीलर ध्वस्त कर गांवपालिका की जमीन पर कब्जा कर ली है। मंगलवार को जब हम प्रशासनिक टीम के साथ मौके पर जाने लगे तो हमें चीनी सेना ने रोक दिया। प्रतिरोध देख हमें लौटना पड़ा। हमें सीमा पर लगाए गए पिलर भी नहीं दिखे।

हुमला के प्रमुख जिलाधिकारी चिरंजीवी गिरि ने कहा कि चीनी घुसपैठ की रिपोर्ट तैयार कर काठमांडू भेज दिया गया है। प्रारंभिक तौर पर चीन के अतिक्रमण की पुष्टि हुई है। चीनी सेना ने हुमला जिले के नाम्खा गांवपालिका की जमीन पर अतिक्रमण किया है।

जांच टीम में यह रहे शामिल

टीम में नाम्खा गांवपालिका के अध्यक्ष विष्णु बहादुर लामा, हुमला के प्रमुख जिलाधिकारी चिरंजीवी गिरि, नेपाली सेना के अधिकारी, नेपाल पुलिस, नेपाली सशस्त्र बल, नेपाल खुफिया विभाग और गांव पालिका के अध्यक्ष शामिल रहे।

भारतीय सीमा के करीब पहुंचता चीन

भारत-नेपाल संबंधों के जानकार यशोदा श्रीवास्तव बताते हैं कि चीन भारतीय सीमा तक पहुंचने के लिए नेपाल को माध्यम बना रहा है। इसके लिए उसने विस्तृत योजना तैयार की है। नेपाल में संचालित विकास परियोजनाओं के माध्यम से उसने पहला चरण बखूबी पूरा कर लिया है। सीमावर्ती जिलों में स्थापित जल विद्युत परियोजनाओं, एयरपोर्ट निर्माण, विद्यालयों और चीनी भाषा केंद्र में उसकी पूरी भागीदारी है। चीन अब दूसरे चरण पर तेजी से काम कर रहा है। इसके लिए उसने नेपाल को भारत के साथ सीमा विवाद में उलझाकर खुद उसकी सामरिक रूप से अहम जमीनों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश और बिहार बॉर्डर तक उसकी पहुंच बन गई है। अब वह सामरिक रूप से अहम उत्तराखंड सीमा तक पहुंच बनाने में जुटा है। महाकाली कॉरिडोर उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले तक आसानी से पहुंचाएगी।

ऐसे घिर रहा नेपाल

चीन ने सामरिक रूप से अहम गोरखा जिले के भागडेर खोला में घुसपैठ कर पक्का निर्माण कर लिया है। हुमला जिले में करनाली नदी, सिंजेन नदी के बीच भी वह पहुंच गया है। यहां उसकी कोशिश नदी का रुख बदल नेपाल के साथ ही भारत को भी प्रभावित करने की है। सुरक्षा जानकार इसे वाटर बम के रूप में देखते हैं।

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